चंडीगढ़:हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दल पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. देखने में तो सामान्य लगता है कि चुनाव है तो सभी पार्टियां प्रचार तो करेंगी ही लेकिन सियासी नजरिया कुछ अलग होता है. हर बड़े नेता की रैली से पहले सभी सियासी गुणा गणित साधने में लगे हुए हैं. हरियाणा की राजनीति में जीटी रोड बेल्ट की राजनीति की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है.
2014 में बीजेपी को इसी क्षेत्र के सहारे मिली थी सत्ता
प्रदेश में सरकार बनाने में जीटी रोड बेल्ट के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. ये पूरा क्षेत्र सियासी नजरिए से गैर जाट मतदाताओं का है. 2014 के चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने की प्रमुख वजह थी कि पार्टी ने जीटी रोड बेल्ट में अच्छा प्रदर्शन किया था और लगभग तमाम सीटों पर कब्जा जमाया था, जो पहले कांग्रेस के खाते में थी.
2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी रही आगे
हाल ही के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विधानसभा अनुसार भाजपा का प्रदर्शन देखें तो भाजपा ने जीटी रोड बेल्ट पर अपना पुराना किला और मजबूत कर लिया है. बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट से सटे क्षेत्रों अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत की 35 विधानसभा हलकों में से 31 सीटों पर बढ़त बनाई थी. कांग्रेस सिर्फ सोनीपत संसदीय क्षेत्र की दो सीट बरौदा और खरखौदा में आगे रही थी.