चंडीगढ़: हरियाणा सहित आस पास के राज्यों में पराली एक बड़ी समस्या (stubble problem in haryana) है. हर साल फसल काटने के बाद पराली जलाने के मामले सामने आते हैं. इसके चलते प्रदूषण बढ़ जाता है. हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में सोमवार को चंडीगढ़ में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगाने तथा पराली का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतू हुई बैठक हुई. इस बैठक में नीति के प्रारूप पर बिंदुवार चर्चा की गई.
मुख्य सचिव ने कहा कि बैठक में लिए गए निर्णयों व सुझावों को इस नीति में शामिल किया जाए. इसी के हिसाब से मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा नीति की अंतिम मंजूरी प्रदान की जाएगी. संजीव कौशल ने बताया कि हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी 2022 का उद्देश्य पराली आधारित बायोमास, बिजली परियोजनाओं, उद्योगों, कम्प्रैस्ड बायोगैस संयंत्रों, अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों, ईंट-भट्ठों, पैकेजिंग सामग्री इत्यादि में निवेश को आकर्षित करने के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है. इतना ही नहीं, किसानों को अपने खेत में पराली को काटने, गठरी बनाने और स्टोर करने हेतू प्रोत्साहित करना और विभिन्न परियोजनाओं में उपयोग के मकसद से इसे बेचने के लिए सुविधा प्रदान करना है. इस नीति के माध्यम से फसल के अवशेषों की मांग और आपूर्ति प्रबंधन के लिए किसानों और उपयोगकर्ताओं के बीच लिंक स्थापित किया जाएगा.
इसके अलावा विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, ईंट भट्टों या किसी अन्य औद्योगिक, वाणिज्यिक या संस्थागत प्रतिष्ठानों में पराली का उपयोग करने पर भी जोर दिया जाएगा. नई प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना भी इस नीति के मुख्य उद्देश्यों में से एक है. मुख्य सचिव ने कहा कि पराली के उपयोग तथा बायोमास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न रणनीतियां अपनाई जाएंगी.