चंडीगढ़: आखिरकार कई दिनों की माथापच्ची और चर्चाओं के बाद कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने हरियाणा में अध्यक्ष का ऐलान कर दिया. हरियाणा कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया है. अध्यक्ष पद की बागडोर चार बार विधायक कर चुके उदय भान को दी गई है. लेकिन इससे भी ज्यादा दिलचस्प ये है कि हरियाणा में पहली बार कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी ने जिस तरीके से 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं उससे एक बार फिर चर्चा चल पड़ी है कि आखिर कांग्रेस को इससे कितना फायादा होगा. ये बात साफ है कि कांग्रेस में गुटबाजी गंभीर समस्या रही है. शायद इसी से निपटने के लिए कांग्रेस ने इन चार कार्यकारी अध्यक्षों के बहाने जातीय समीकरणों का भी खासतौर पर ध्यान रखा है.
एक गौर करने वाली बात ये भी है कि पार्टी ने अशोक तंवर, कुमारी सैलजा के बाद एक बार फिर दलित चेहरे पर ही भरोसा जताया है. इससे कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाना साधने का काम किया. पहला ये कि दलित समुदाय में दलित हितैषी होने का संदेश देना. और दूसरा ये कि पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे पर सावल ना खड़े हों. चार कार्यकारी अध्यक्ष में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण और वैश्य समाज को तरजीह दी है. यानी आने वाले दिनों में हरियाणा कांग्रेस इन 5 जातियों के समीकरण के साथ प्रदेश की बीजेपी सरकार के सामने अपनी चुनौती खड़ा करने की तैयारी में है.
जिस तरीके से पार्टी ने सभी जातियों के समीकरणों को ध्यान में रखा है, उससे साफ दिखाई दे रहा है कि वोट बैंक की जो सियासत है उसको भी ध्यान में रखते हुए पार्टी ने इन बदलावों को किया है. कांग्रेस पार्टी ना सिर्फ अब जाट वोट बैंक को बल्कि वैश्य, दलित और पिछड़ा वर्ग को भी ध्यान में रखकर आगे की रणनीति पर काम कर रही है. इसके साथ ही पार्टी अंदरूनी गुटबाजी को भी विराम लगाने की कोशिश में दिखाई दे रही है.