हरियाणा

haryana

ETV Bharat / city

अर्जुन अवॉर्ड के लिए नामित हरियाणा के इन खिलाड़ियों के बारे में ये बातें जानते हैं आप? - पहलवान साक्षी मलिक अर्जुन अवार्ड

इस साल के अर्जुन पुरस्कार के लिए जिन खिलाड़ियों के नामों की सिफारिश खेल मंत्रालय की पुरस्कार चयन समिति द्वारा गई है उनमें हरियाणा के भी कई खिलाड़ी शामिल हैं. इस रिपोर्ट में पढ़िए हरियाणा के किन खिलाड़ियों को इस बार अर्जुन पुरस्कार मिलने जा रहा है और कैसा रहा है उनका अब तक का सफर.

arjuna award nominated from haryana
arjuna award nominated from haryana

By

Published : Aug 19, 2020, 6:47 PM IST

चंडीगढ़: अर्जुन पुरस्कार के लिए हरियाणा से इस बार शूटर मनु भाकर, महिला पहलवान साक्षी मलिक, बॉक्सर मनीष कौशिक और कबड्डी प्लेयर दीपक निवास हुड्डा के नाम की सिफारिश की गई है. इन खिलाड़ियों ने देश और प्रदेश को कई गौरव के पल दिए हैं. आइए नजर डालते हैं इन खिलाड़ियों के अब तक के सफर पर.

मनु भाकर कैसी बनीं शूटिंग चैंपियन ?

मनु हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता रामकिशन भाकर मरीन इंजीनियर रहे हैं, लेकिन बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी.

मनु भाकर.

मनु के पिता बताते हैं कि मनु ने शूटिंग 2015-16 में शुरू की थी. मनु ने पहली बार में ही निशाना टारगेट पर मारा था. शूटिंग से पहले मनु कराटे खेलती थी. करीब छह महीने में ही मनु नेशनल कराटे चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीत गई थी.

इससे भी पहले वह थांग ता (मार्शल आर्ट) की खिलाड़ी रही हैं और दो साल तक मनु ने थांग ता खेला, लेकिन कराटे और थांग ता खेलते समय मनु अपनी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रही थी, इसलिए उसने शूटिंग को चुना था, लेकिन शूटिंग के दौरान समस्या ये थी कि मनु लाइसेंसी पिस्टल के साथ सार्वजनिक यातायात के वाहन में सफर कर नहीं सकती थी.

मनु भाकर.

साथ ही बालिग नहीं होने की वजह से वो खुद भी गाड़ी चला कर शूटिंग इवेंट में हिस्सा लेने नहीं जा सकती थी. इस समस्या का समाधान करते हुए और बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए रामकिशन भाकर ने नौकरी छोड़ी और फिर बेटी के साथ शूटिंग प्रतियोगिता में जाने लगे.

एक बार शस्त्र लाइसेंस बनवाने में हुई थी परेशान

मनु ने जिस पिस्टल से निशाना साधकर भारत को दो गोल्ड मेडल जिताये थे, उस पिस्टल के लिए लाइसेंस लेने के लिए मुन को ढाई महीने तक इंतजार करना पड़ा था. बात साल 2017 की है जब मनु को प्रैक्टिस करने के लिए विदेश से एक गन मंगवाने के लिए पिस्टल लाइसेंस की जरूरत पड़ी थी, लेकिन झज्जर जिला प्रशासन ने उनके लाइसेंस के आवेदन को रद्द कर दिया था.

राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीतने के बाद मनु भाकर.

बाद में जब ये मामला मीडिया की सुर्खियों में आने के बाद सरकार के संज्ञान में आया तो प्रशासन द्वारा की गई त्वरित जांच में फाइल संबंधित त्रुटि मिलने के बाद उसे दूर करते हुए उन्हें सप्ताह भर में ही लाइसेंस जारी कर दिया था.

मनु भाकर ने आईएसएसएफ शूटिंग वर्ल्ड कप-2019 में देश के लिए 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था. उस वक्त 17 साल की मनु ने 244.7 के जूनियर विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ ये पदक जीता अपने नाम किया था.

मनु भाकर.

मनु की बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां

  • मार्च 2018 में मैक्सिको में आयोजित सीनियर वर्ल्ड कप में गोल्ड जीता.
  • मार्च 2018 में सिडनी में आयोजित जूनियर वर्ल्ड कप में चार गोल्ड जीते.
  • अप्रैल 2018 में गोल्डकोस्ट में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता.
  • आईएसएसएफ शूटिंग वर्ल्ड कप-2019 में देश के लिए 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था.
  • इसके अलावा 2019 में आयोजित तीन अलग-अलग स्पर्धा में तीन गोल्ड मेडल जीते.

मनीष कौशिक- मिनी क्यूबा से निकला एक और मुक्केबाज

मिनी क्यूबा के नाम से विश्व में प्रसिद्ध खेल नगरी भिवानी के इतिहास में अर्जुन अवॉर्ड प्राप्त करने वालों की लिस्ट में एक और नाम बॉक्सर मनीष कौशिक के रूप में जुड़ने जा रहा है. मुक्केबाज मनीष कौशिक को अर्जुन अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है.

मुक्केबाज मनीष कौशिक.

पढ़ाई के दौरान बने सूबेदार

ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाले मनीष कौशिक मूल रूप से भिवानी के देवसर गांव के रहने वाले हैं. मनीष ने साल 2015-2016 में चंडीगढ़ स्थित एसडी कॉलेज- 32 में बीए में एडमिशन लिया था.

बॉक्सर मनीष कौशिक के गांव में है खुशी का माहौल.

इसके बाद बीए सेंकेड ईयर में पढ़ाई करते हुए उन्हें सूबेदार की नौकरी मिली गई थी और वो फौज में चले गए थे. कॉलेज में पढ़ाई करते हुए मनीष ने पहले इंटर कॉलेज में गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद इंटर कॉलेज में पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से खेलते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया.

इंटरनेशनल मुक्केबाज विजेंद्र कुमार से हैं प्रेरित

मनीष कौशिक इंटरनेशनल मुक्केबाज विजेंद कुमार से प्रेरित होकर मुक्केबाजी में आए. विजेंद्र की तरह मुक्केबाज बनने के लिए मनीष ने शुरुआती दिनों से कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी थी.

मनीष कौशिक मुक्केबाज विजेंद्र कुमार से हैं प्रेरित.

मुक्केबाज मनीष कौशिक के कोच मनजीत सिंह का कहना है कि उन्हें मनीष पर पक्का भरोसा है कि 2021 ओलंपिक गेम्स में वो मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक लाकर देश का नाम रौशन करेंगे. 2021 ओलंपिक गेम्स के लिए मनीष कौशिक इस समय आर्मी स्पोटर्स इंस्टीट्यूट पुणे में ओलंपिक खेल की तैयारी कर रहे हैं.

कबड्डी प्लेयर दीपक हुड्डा- मुसीबतों से लड़कर मिला ये मुकाम

भारतीय कबड्डी टीम के स्टार खिलाड़ी दीपक निवास हुड्डा मूलरूप से रोहतक के चमारिया गांव के रहने वाले हैं. जब वह चार साल के थे तो मां का निधन हो गया. पिता छोटे किसान थे, दिनभर खेतों में मेहनत मजदूरी कर जैसे-तैसे परिवार का पेट पालते थे.

कबड्डी प्लेयर दीपक निवास हुड्डा.

परिवार में पिता के अलावा एक शादीशुदा बहन अपने दो बच्चों के साथ रहती थी. जैसे तैसे जिंदगी चल ही रही थी कि 12वीं कक्षा में सिर से पिता का साया उठ गया. जिसके बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा. बहन के बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ी और अच्छी नौकरी के लिए कबड्डी खेलना शुरू किया.

रात भर स्टेडियम व गली में कुर्सी रखकर, डंडा गाड़कर, दीपक उन्हें खिलाड़ी समझ अभ्यास करते थे. आज दीपक की गिनती दुनिया में कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ियों में होती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को पांच गोल्ड व एक ब्रांज मेडल दिलाने में दीपक का अहम योगदान रहा है.

कबड्डी प्लेयर दीपक निवास हुड्डा.

दीपक के अर्जुन अवॉर्ड के लिए चयनित होने से खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है. कबड्डी कोच दिनेश खर्ब ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि दीपक ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. दीपक की इस उपलब्धि से से जूनियर खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी.

कबड्डी प्लेयर दीपक निवास हुड्डा.

ये हैं दीपक की उपलब्धियां

दीपक निवास हुड्डा 2016 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे. भारत ने फाइनल में ईरान को मात देकर विश्व कप हासिल किया था. हुड्डा ने 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों के दौरान भारतीय टीम में पदार्पण किया था. इससे पहले उन्होंने प्रो कबड्डी लीग में खेलना शुरू कर दिया था. हुड्डा हरियाणा टीम के खिलाड़ी भी रह चुके हैं, जिन्होंने वर्ष 2014 में पटना में वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था.

पहलवान साक्षी मलिक- रियो ओलंपिक की स्टार

रोहतक के मोखरा गांव में जन्मीं साक्षी मलिक को 2016 रियो ओलंपिक से पहले ज्यादा लोग नहीं जानते थे, लेकिन रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीते के बाद वो रातोंरात स्टार बन गई थीं. रियो ओलंपिक में भारत को पहला पदक साक्षी मलिक ने ही दिलाया था.

रियो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद साक्षी मलिक.

पदक जीतने के बाद उन्हें कई इनाम देने की घोषणा हुई. साल 2016 में भारत सरकार ने साक्षी को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा था. वहीं साल 2017 में उन्हें पदमश्री पुरस्कार भी दिया गया था.

साक्षी मलिक.

इससे पहले इन्होंने ग्लासगो में आयोजित 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था. वहीं 2014 की विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. साक्षी के पिता सुखबीर मलिक डीटीसी में बस कंडक्टर रहे हैं और उनकी माता सुदेश मलिक एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रही हैं.

ये भी पढ़ें-खेल रत्न के लिए नामित हरियाणा की इन दो बेटियों का सफर नहीं रहा आसान

ABOUT THE AUTHOR

...view details