नई दिल्ली/चंडीगढ़:नवरात्रि के पावन पर्व का आज पहला दिन है. नवरात्रि पूजन के दौरान देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों का सम्मान और पूजन किया जाता है. जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है. देवी दुर्गा का पहला नाम शैलपुत्री है. शैल का मतलब शिखर. शास्त्रों में शैलपुत्री को पर्वत (शिखर) की बेटी के नाम से भी जाना जाता है.
मंत्र:
।। वंदे वांछितलाभाय चंद्राधकृतशेखराम ।।
।। व्रिषारुढा शूलधरां शैलपुत्री यशंस्विनिम ।।
नवरात्री का पहला दिन
माता दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है. हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण देवी नामकरण शैलपुत्री के नाम से हुआ. इनका वाहन वृषभ है. इसलिए यह देवी व्रिषारुढा के नाम से भी जानी जाती है.
जानें देवी दुर्गा के पहले स्वरुप शैलपुत्री का कैसे हुआ नामकरण पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. नवरात्र पूजन में पहले दिन इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है. पहले दिन की पूजा में श्रद्धालु अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना शुरू होती है.
कलश स्थापना का समय
इस बार नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 2 घंटे का समय मिल रहा है. पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से लेकर सुबह के 7 बजकर 40 मिनट का है. फिर सुबह 11:48 से लेकर दोपहर के 12:35 तक कलश स्थापना की जा सकती है.
माता दुर्गा के नौ स्वरूप:
- नवरात्र पहला दिन : मां शैलपुत्री
- दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी
- तीसरा दिन : मां चंद्रघंटा
- चौथा दिन : मां कुष्मांडा
- पांचवा दिन : मां स्कंदमाता
- छठा दिन : मां कात्यायनी
- सातवां दिन : मां कालरात्रि
- आठवां दिन : मां महागौरी
- नवा यानी अंतिम दिन : मां सिद्धिदात्री