चंडीगढ़ःकेंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (three new agricultural laws) के खिलाफ हरियाणा, पंजाब और यूपी के किसान बीते कई माह से दिल्ली की सीमा पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. सर्दी, गर्मी और बरसात के महीने बीत चुके हैं मगर किसान धरना स्थल खाली करने को तैयार नहीं हैं, और ना ही उनका हौंसला डिगा है. हालांकि इस लंबे वक्त में किसान आंदोलन ने कई तरह के रंग देख, कई तरह का वक्त देखा और कई तरह के मौसम देखे. 26 जनवरी को हुई घटना के बाद जब आंदोलन की आलोचना शुरू हुई तो लोगों ने कहा कि अब ये खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
एक वक्त गाजीपुर बॉर्डर पर बहुत कम किसान बचे थे और रात में पुलिस फोर्स ने धरना स्थल को चारों तरफ से घेर लिया. राकेश टिकैत को उस वक्त लगा कि मामला बिगड़ रहा है और फिर कैमरे पर उनकी आंखो से आंसू टपक गए और वो आंसू लोगों का सैलाब लेकर आये. अब आंदोलन को 300 दिन (Farmer protest 300 Days) पूरे हो गए हैं और ये एक तरीके से आम जिंदगी जैसा हो गया है. लेकिन यहां तक किसानों का ये आंदोलन कैसे पहुंचा. किसानों के सामने अब तक कितनी परेशानियां आई और अब आंदोलन कैसे चल रहा है.
नवंबर 2020 में शुरू हुआ आंदोलनः जब सर्दियों की शुरूआत हो रही थी तो किसान धान की फसल से निपटकर दिल्ली की ओर रुख कर रहे थे. इसकी शुरूआत पंजाब से हुई, दरअसल किसान केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. जो उन्होंने लंबे समय तक पहले पंजाब में किया लेकिन उसके बाद जब वो दिल्ली आने के लिए निकले तो हरियाणा सरकार ने किसानों को रोकने की भरसक कोशिश की. सड़कें तक सरकार ने खुदवा दीं. लेकिन किसान तमाम बैरिकेडिंग तोड़ते हुए आगे बढ़ गए और दिल्ली बॉर्डर पर जाकर बैठ गए.
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