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गेहूं लेकर मंडी पहुंचे किसान, नमी की सीमा घटाए जाने से हैं परेशान

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Published : Apr 23, 2020, 1:01 PM IST

किसानों ने कहा कि पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से भी हमारी परेशानी काफी बढ़ गई है. क्योंकि बारिश के बाद गेहूं में नमी की मात्रा ज्यादा हो गई है और अब हमें उसे कम करने के लिए गेहूं को सुखाना पड़ेगा. इसके बाद ही हम गेहूं को बेच पाएंगे.

Farmers are worried about lowering of wheat moisture limit
नमी की सीमा घटाए जाने से हैं परेशान

चंडीगढ़: कोरोना और लॉकडाउन के बीच किसान धीरे-धीरे गेहूं बेचने के लिए मंडी पहुंचने लगे हैं. किसानों के लिए इस वक्त गेहूं को बेचना भी जरूरी है. किसानों को गेहूं बेचने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. एक तो पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से उनकी गेहूं में नमी की मात्रा बढ़ गई. साथ ही सरकार ने भी नमी की मात्रा को तय सीमा से कम कर दिया है जिस वजह से किसान काफी परेशान हैं.

ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ की सेक्टर-39 स्थित मंडी में गेहूं लेकर पहुंचे किसानों से बात की. इन किसानों का कहना था कि लॉकडाउन की वजह से पहले ही ये काफी परेशानियों का सामना कर रहे थे. जैसे तैसे हम गेहूं को मंडी तक लेकर आए हैं. अब सरकार ने इनके लिए एक और नई परेशानी खड़ी कर दी है. सरकार ने नमी की तरह मात्रा को कम कर दिया है. जिससे अब इनका गेहूं बिक नहीं पा रहा है.

गेहूं लेकर मंडी पहुंचे किसान, नमी की सीमा घटाए जाने से हैं परेशान

इन्हें मंडियों में ही अपनी गेहूं को सुखाना पड़ रहा है जिससे मजदूरी का खर्चा अलग से बढ़ गया है. इन किसानों को कहना है कि सरकार ने पहले नमी की मात्रा 14% तय कर रखी थी और तब हम गेहूं को आराम से बेच पाते थे लेकिन इस बार सरकार में नमी की मात्रा को घटाकर 12% कर दिया है. जिस वजह से हम गेहूं को बेच नहीं पा रहे हैं. हमें पहले गेहूं को सुखाना पड़ रहा है. जिससे हमारा काफी समय भी बर्बाद हो रहा है.

किसानों ने कहा कि पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से भी हमारी परेशानी काफी बढ़ गई है. क्योंकि बारिश के बाद गेहूं में नमी की मात्रा ज्यादा हो गई है और अब हमें उसे कम करने के लिए गेहूं को सुखाना पड़ेगा. इसके बाद ही हम गेहूं को बेच पाएंगे.

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आढ़ती भी प्रशासन के इस फैसले से काफी परेशान है. उनका कहना है कि 14% नमी वाले गेहूं को खरीद नहीं रही है. जिससे आढ़तियों के लिए भी काफी परेशानी की बात है. क्योंकि गेहूं को पहले मंडी में सुखाने के लिए फैलाना पड़ता है. फिर उसे दोबारा बोरियों भरना पड़ता है. इस वजह से मजदूरी का खर्च भी बढ़ गया है और समय भी काफी बर्बाद हो रहा है. अगर प्रशासन नमी की मात्रा को फिर से 14% कर दे तो मंडियों में इस समय पड़ी ज्यादातर गेहूं बिक जाएगा.

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