चंडीगढ़ः देवीलाल परिवार हरियाणा में सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार माना जाता है. लंबे अरसे से प्रदेश में देवीलाल परिवार चुनावी मैदानों में सबसे ज्यादा पारिवारिक योद्धा उतारता रहा है. ये परिवार दो बार राजनीतिक तौर पर दो फाड़ भी हुआ है लेकिन खास बात ये है कि देवीलाल परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी आमने-सामने विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है.
देवीलाल परिवार के 5 सदस्य 3 पार्टियों से चुनाव मैदान में
देवीलाल परिवार के 5 सदस्य इस विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन सब अलग-अलग सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. अभय चौटाला इनेलो की टिकट पर ऐलनाबाद से चुनावी मैदान में हैं. रणजीत चौटाला भी इस बार इनेलो की टिकट पर रानियां से ही ताल ठोक रहे हैं. दुष्यंत चौटाला जेजेपी की टिकट पर उचाना से चुनावी मैदान में उतरे हैं. दुष्यंत की माता नैना चौटाला इस बार बाढड़ा विधानसभा से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि 2014 में वो डबवाली से विधायक बनी थीं. उन्हें डबवाली सीट इसलिए छोड़नी पड़ी क्योंकि बीजेपी ने इस सीट पर देवीलाल के पोते आदित्य देवीला को उतार दिया. इसलिए नैना चौटाला डबवाली छोड़कर बाढड़ा चली गईं.
1989 में पहली बार दो फाड़ हुआ देवीलाल परिवार
1989 में जब केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी तो तत्काली हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल दिल्ली चले गए और उप प्रधानमंत्री बन गए. अब हरियाणा में उनके दो बेटों के बीच कुर्सी के लिए जंग छिड़ गई. रणजीत चौटाला और ओपी चौटाला दोनों ही मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन ओपी चौटाला ने बाजी मार ली और वो मुख्यमंत्री बन गए. उन्ही के कैबिनेट में रणजीत चौटाला को मंत्री बनना पड़ा लेकिन कुछ समय बाद ही रणजीत चौटाला ने बगावत कर दी. उन्होंने पार्टी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली. उसके बाद से वो और ओपी चौटाला लगातार चुनाव मैदान में रहे लेकिन कभी आमने-सामने नहीं हुए. कुछ सालों बाद ओपी चौटाला के बेटों ने भी चुनावी मैदान में किस्मत आजमाई लेकिन तब भी देवीलाल परिवार का कोई सदस्य आमने-सामने चुनावी मैदान में नहीं उतरा.