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सरकार के राहत पैकेज से गरीबों को नहीं मिल पाएगी राहत- प्रोफेसर सतीश वर्मा

केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. इसके बावजूद प्रवासी मजदूरों का पलायन नहीं रुक रहा है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर सतीश वर्मा से बात की. जानें उन्होंने क्या कहा...

Economist reaction on Relief package and labour problem
प्रोफेसर सतीश, अर्थशास्त्री

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Published : May 18, 2020, 11:56 AM IST

चंडीगढ़: केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है. इसके अलावा सरकार की ओर से ये भी बताया गया है कि वो किन-किन फैक्टर्स पर किस तरह खर्च किया जाएगा. ईटीवी भारत ने जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर सतीश वर्मा से इसके बारे में बात की.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का ये कदम सराहनीय है लेकिन सरकार अभी तक इस पैसे को खर्च करने के लिए योजनाएं साफ नहीं कर पाई है. सरकार ने उद्योग धंधों, एविएशन, ट्रैवल, होटल इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर आदि क्षेत्रों में इस पैसे को खर्च करने की बात कही है. लेकिन ये साफ नहीं है कि सरकार की ओर से इन सेक्टर्स को किस तरह से राहत पहुंचाई जाएगी.

सरकार के राहत पैकेज से गरीबों को नहीं मिल पाएगी राहत- प्रोफेसर सतीश वर्मा

'पैकेज से कैसे मजदूरों को लाभ मिलेगा, ये साफ नहीं'

प्रोफेसर सतीश वर्मा ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि गरीब मजदूर और प्रवासियों को इसका कितना लाभ मिल पाएगा. जहां तक मेरा मानना है सरकार में ऐसी कोई भी ठोस बात नहीं कही है. जिससे ये साफ हो सके कि इस पैकेज का सीधा फायदा गरीब मजदूरों को मिल सकेगा.

'सरकार पलायन रोकने में नाकाम'

उन्होंने कहा कि सरकार प्रवासियों का पलायन रोकने में पूरी तरह से नाकाम हुई है. क्योंकि प्रवासी उत्तर भारतीय राज्यों में अपनी नौकरी की गारंटी को खो चुके हैं और वो जानते हैं कि उन्हें फिलहाल यहां पर कोई राहत नहीं मिलने वाली. इसलिए वे अपने गांव जा रहे हैं.

'कैसे लोन मिलेगा, ये साफ नहीं'

सरकार ने उद्योग धंधों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है. जिसके बारे में ये कहा जा सकता था कि अगर उद्योग धंधों को राहत मिलती है और भी चलते हैं तो उससे मजदूरों को भी नौकरियां मिलेंगी. लेकिन सरकार यहां भी ये साफ करने में असफल रही है कि उद्योग धंधों को जो लोन दिए जाएंगे वो कैसे दिए जाएंगे. क्योंकि जब भी बैंक किसी कंपनी का लोन देता है तो वो इस बात का ध्यान रखता है कि उसके पैसे वापस आएंगे या नहीं. इस समय इंडस्ट्री की जो हालत है वो सबके सामने है और ऐसे में बैंक कंपनियों को लोन देने में हिचकीचाएंगे.

'मजदूरों की कमी का करना पड़ सकता है सामना'

उन्होंने कहा कि अगर उद्योग धंधे शुरू हो जाते हैं, तब भी उन्हें मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि जो मजदूर यहां से जा चुके हैं. उनका वापस आना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा. क्योंकि उनके मन में अभी भी ये डर है कि वापस आने के बाद उन्हें फिर से इस तरह के बुरे हालात का सामना ना करना पड़े.

'रेहड़ी फड़ी वालों को लोन कैसे मिलेगा साफ नहीं'

इसके अलावा सरकार ने रेहड़ी फड़ी लगाने वालों के लिए भी 10 हजार रुपये तक के लोन की घोषणा की है. जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि इससे गरीब लोगों को थोड़ा सहारा मिलेगा लेकिन इस योजना में भी समस्या यही है कि सरकार ने ये साफ नहीं किया है कि ये लोन कौन से लोगों को मिलेगा. क्योंकि जब भी कोई गरीब व्यक्ति बैंक में लोन लेने के लिए पहुंचेगा तो उसे कुछ ना कुछ फॉर्मेलिटी तो करनी ही पड़ेगी. साथ ही बैंक अपने पैसे की वापसी के बारे में भी सोचेगा.

'छोटी कंपनियों को राहत पैकेज से फायदा नहीं'

उन्होंने कहा कि फिलहाल सरकार ने जिस राहत पैकेज की घोषणा की है, हो सकता है कि बड़ी कंपनियों को उसका फायदा मिले. लेकिन छोटी कंपनियों को इसका फायदा मिलता नहीं दिख रहा है और गरीब मजदूरों तक तो इसके फायदे के बारे में फिलहाल सोचा नहीं जा सकता. क्योंकि सरकार ने ऐसी एक भी बात साफ नहीं की है. जिससे ये पता चल सके के इस पैकेज का सीधा फायदा किस तरह से गरीब मजदूरों तक पहुंचेगा.

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