चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1,304.95 करोड़ रुपये की एक व्यापक योजना की स्वीकृति प्रदान की है. इस योजना का उद्देश्य राज्य में फसल अवशेषों को जलाने से रोकना है. केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष इस योजना के तहत राज्य को 170 करोड़ रुपये मुहैया करवाए गए हैं.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने 'फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन' योजना के तहत केंद्र सरकार को 639.10 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तुत की है. कौशल ने बताया कि आईसीएआर के आंकड़ों के अनुसार, इन प्रयासों के चलते साल 2018 की तुलना में आग की घटनाओं वाले वास्तविक स्थानों में 68.12 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि 6 से 30 नवंबर, 2018 के बीच राज्य में आग की घटनाओं वाले 4,122 स्थान पाए गए थे, जबकि वर्ष 2019 में इसी अवधि के दौरान ऐसे केवल 1,314 पाए गए.
'कस्टम हायरिंग सेंटर'
संजीव कौशल कहा कि इस योजना के तहत फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध के सम्बन्ध में प्रवर्तन उपायों के साथ-साथ फसल अवशेषों का इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन शामिल है. इसके लिए पिछले वर्ष की तरह सभी प्रशासनिक उपाय किए जाएंगे. योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कौशल ने बताया कि राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण वितरित करने, कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने और कृषि एवं किसान कल्याण निदेशालय में राज्य मुख्यालय पर समर्पित नियंत्रण स्थापित करने सहित धान की पुआल के प्रबंधन के लिए हरसंभव उपाय कर रही है.