चंडीगढ़:पंजाब यूनिवर्सिटी ने उर्दू को विदेशी भाषा का दर्जा देने के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रोष जाहिर किया है. कैप्टन ने रविवार को ट्वीट किया कि शर्म की बात है कि पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा इस प्रकार की सोच को अपनाया गया है.
उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी के वीसी और सीनेटरों से कहा कि इस मामले पर कोई भी फैसला लेने से पहले रिव्यू कर लें. उर्दू भारत की भाषा है, न कि विदेशी. इतना ही नहीं वीसी के इस फैसले का टीचर एसोसिएशन भी विरोध कर रहा है.
उर्दू को फॉरेन लैंग्वेज करने के फैसले पर प्रोफेसर क्या कहते हैं जानें
प्रस्तावित विलय पर आज होगा अंतिम फैसला
खास बात ये है कि पंजाब यूनिवर्सिटी ने कुछ छोटे विभागों को जोड़कर स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज बनाने का निर्णय लिया था. जिसके लिए कुलपति द्वारा गठित 15 सदस्यीय समिति छोटे विभागों के प्रस्तावित विलय पर आज अंतिम फैसला लेगी.
आपको बता दें कि बैठक में सभी छोटे डिपार्टमेंटों को एक ही जगह पर मर्ज करने पर जोर दिया जाना है. 15 सदस्यों वाला पैनल आज बैठक में निर्णय लेगा कि प्रस्ताव को पास करना है या फिर इसे वापस लेना है.
'यूनिवर्सिटी प्रबंधन के फैसले से आपत्ति नहीं'
इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अली अब्बास ने कहा कि हमें यूनिवर्सिटी प्रबंधन के इस फैसले से कोई आपत्ति नहीं है. क्योंकि प्रबंधन ने यह फैसला इसलिए लिया है, ताकि जो विभाग छोटे हैं या जिनमें 6 से कम प्रोफेसर हैं. उन्हें दूसरे विभागों में मिला दिया जाए. इसलिए प्रबंधन ने उर्दू भाषा को विदेशी भाषाओं के विभाग में मिलाने का फैसला किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा को दूसरे विभागों में मिलाया जा सकता है. लेकिन इसे विदेशी भाषाओं के विभाग में नहीं मिला जाना चाहिए, क्योंकि उर्दू एक भारतीय भाषा है. भारत में कई करोड़ लोग उर्दू भाषा का इस्तेमाल करते हैं. अगर प्रबंधन को उर्दू भाषा के विभाग को दूसरे भाग में मिलाना है तो उसे भारतीय भाषाओं के विभाग में मिला दिया जाए.
ये भी पढ़ें: पूर्व मंत्री मांगे राम गुप्ता जेजेपी में हुए शामिल, जींद विधानसभा सीट से लड़ सकते हैं चुनाव
उर्दू भाषा विभाग को विदेशी भाषाओं से जोड़ने की बात
पंजाब यूनिवर्सिटी में लाए गए इस प्रस्ताव के तहत उर्दू भाषा के विभाग को विदेशी भाषाओं के विभाग के साथ जोड़े जाने की बात कही गई है. इन विदेशी भाषाओं के विभाग में रूसी, फ्रांसीसी, जर्मन, चीनी और तिब्बती भाषाएं शामिल हैं.