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इन विधानसभा सीटों पर कभी नहीं जीती बीजेपी, क्या अबकी बार होगा बेड़ा पार ? - हरियाणा में बीजेपी का इतिहास

2014 में पहली बार हरियाणा में बीजेपी ने अपने बल पर सरकार बनाई थी. उससे पहले तो बीजेपी का हाल हरियाणा में बेहाल ही रहा है. लेकिन 2014 में 47 सीटें जीतने वाली बीजेपी के लिए अब भी कई सीटें ऐसी हैं जहां उसे जीत का इंतजार है.

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Published : Sep 15, 2019, 3:27 PM IST

चंडीगढ़ःजनसंख्या के मामले में हरियाणा भले ही छोटा हो लेकिन राजनीतिक रूप से ये प्रदेश हमेशा गर्म रहा है. यहां के कई राजनेताओं ने देश की राजनीति पर छाप छोड़ी है. चौधरी देवीलाल जैसे राजनेता ने हरियाणा में लंबे समय तक राजनीति की है. 2014 में बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार अपने बल पर सत्ता हासिल की. इससे पहले बीजेपी को हरियाणा में कभी राजनीतिक रूप से ज्यादा सफलता हासिल नहीं हुई.

वो साल 2014 था
हरियाणा के अब तक के इतिहास में राजनीतिक रूप से बहुत सारे उठापटक हुए हैं. आयाराम, गयाराम जैसी कहावत यहीं पर चरितार्थ हुई है. लेकिन 2014 में जो हुआ वो अपने आप में ऐतिहासिक था. क्योंकि 2009 में मात्र 4 सीटें पाने वाली बीजेपी 40 सीटों का आंकड़ा पार गई. तब से लेकर अब तक बीजेपी ने पूरे देश में कमल खिलाया है और इस चुनाव में भी वो 75 पार का आंकड़ा लेकर चल रहे हैं. लेकिन क्या ये संभव हो पाएगा. क्योंकि लगभग 20 सीटें हरियाणा में ऐसी हैं जहां बीजेपी आज तक नहीं जीत पाई है 2014 की आंधी में भी नहीं. तो 75 पार का आंकड़ा अगर बीजेपी को पार करना है तो कई कीर्तिमान और बनाने पड़ेंगे.

इन सीटों पर कभी नहीं जीती बीजेपी

  • राई विधानसभा
  • खरखौदा विधानसभा
  • बरवाला विधानसभा
  • महम विधानसभा
  • गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा
  • हथीन विधानसभा
  • पलवल विधानसभा
  • पिहोवा विधानसभा
  • कैथल विधानसभा
  • गन्नौर विधानसभा
  • बड़ौदा विधानसभा
  • जुलाना विधानसभा
  • नरवाना विधानसभा
  • डबवाली विधानसभा
  • ऐलनाबाद विधानसभा
  • लोहरू विधानसभा
  • तोशाम विधानसभा
  • झज्जर विधानसभा
  • नूंह विधानसभा
  • फिरोजपुर झिरका विधानसभा

गढ़ी सांपला किलोई से भी बीजेपी कभी नहीं जीती
गढ़ी सांपला किलोई को हुड्डा परिवार का गढ़ माना जाता है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से मौजूदा विधायक हैं. गढ़ी सांपला उस गांव का नाम है जहां स्वर्गीय छोटूराम का जन्म हुआ था. हरियाणा बनने के बाद 1967 के पहले चुनाव में यहां से चौधरी छोटूराम के भतीजे चौधरी श्रीचंद विधायक बने थे. उस वक्त ये किलोई सीट हुआ करती थी. 2000 में पहली बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यहां से जीत दर्ज की थी और तब से लगातार वो जीतते आ रहे हैं.

गढ़ी सांपला किलोेई से कांग्रेस विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा

कैथल में भी बीजेपी कभी नहीं जीती
2005 में सुरजेवाला परिवार कैथल से चुनाव लड़ने आया और तब से लगातार सुरजेवाला परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा है. 2005 में रणदीप सुरजेवाला के पिता शमशेर सुरजेवाला जीते थे और उसके बाद 2009 और 2014 में रणदीप सुरजेवाला ने कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव जीता है.

कैथल से कांग्रेस विधायक रणदीप सुरजेवाला

ऐलनाबाद विधानसभा में भी बीजेपी कभी नहीं जीती
ऐलनाबाद विधानसभा सीट को पारंपरिक तौर पर चौटाला परिवार का गढ़ माना जाता है. 2000 विधानसभा चुनाव से ही यहां वही प्रत्याशी जीतता आ रहा है जिसके सर पर चौटाला परिवार का हाथ होता है. मौजूदा वक्त में यहां से अभय चौटाला विधायक हैं. जो 2010 में उपचुनाव जीतने के बाद 2014 का विधानसभा चुनाव भी जीते थे.

ऐलनाबाद से इनेलो विधायक अभय चौटाला

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महम विधानसभा से कभी नहीं जीती बीजेपी
महम विधानसभा का हम जब भी नाम सुनते हैं तो महम कांड तुरंत याद आता है. लेकिन महम कांड के अलावा यहां कुछ और दिलचस्प किस्से भी हैं. इस वक्त यहां से कांग्रेस के आनंद सिंह दांगी विधायक हैं जो तीन बार से लगातार जीत रहे हैं. एक वक्त में देवीलाल इस सीट पर चुनाव लड़ते थे और उसी नर्सरी से आनंद सिंह दांगी भी निकले हैं.

महम से कांग्रेस विधायक आनंद सिंह दांगी

बीजेपी को 75 पार के लिए रचना होगा इतिहास
भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में इस बार 75 पार का नारा दिया है. और उन्हें विश्वास है कि वो इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे. लेकिन ये लक्ष्य हासिल करने के लिए बीजेपी को एक बार फिर इतिहास रचना होगा क्योंकि लगभग 20 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी कभी नहीं जीती है.

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