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अनलॉक-1 में भी ऑटो वालों की मुसीबतें जस की तस, नहीं निकाल पा रहे सीएनजी का भी खर्च - चंडीगढ़ ऑटो चालक परेशान

कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान देश में हर तरह के व्यापार पर मार पड़ी है. हर व्यापारी और कामगार को लॉकडाउन के दौरान बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है. वहीं चंडीगढ़ के ऑटो रिक्शा चालक भी कोरोना की मार से अछूते नहीं रहे. इनके सामने तो खाने तक के लाले पड़ गए. ईटीवी भारत की टीम से इन ऑटो चालकों ने अपना दर्द बयां किया.

chandigarh auto drivers financial crisis
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Published : Jun 5, 2020, 11:00 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना महामारी के कारण देशभर में चार लॉकडाउन लगने के बाद अब लॉकडाउन का पांचवा चरण यानि अनलॉक-1 भी गरीब तबके के लोगों को सुकून देता हुआ नहीं दिख रहा है, खासकर कि ऑटो चालकों के लिए. सरकार द्वारा अनलॉक वन में ऑटो रिक्शा में बैठने वालों की संख्या, चालक के अलावा दो निश्चित की गई है यानि अब कोई भी ऑटो चालक अपने ऑटो रिक्शा में दो सवारियों से ज्यादा एक साथ बिठाकर नहीं ले जा सकता. जिस कारण ऑटो चालकों के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है.

ऑटो चालक नहीं निकाल पा रहे सीएनजी का भी खर्चा

ऑटो रिक्शा चालक गंगा राम ने बताया कि इस निर्देश के चलते जहां पहले ऑटो चालक सवारियों को एक जगह से दूसरी जगह 10 से 15 रुपये में ही ले जाते थे वहां अब ये राशि 30 से 35 रुपये हो गई है. इस राशि के बढ़ने से ना केवल सवारियों को ये नुकसान उठाना पड़ रहा है बल्कि ऑटो चालकों के पास भी सवारियों की बेहद किल्लत आ रही है क्योंकि कोई भी इस बढ़ी हुई राशि को देने के लिए जल्दी तैयार नहीं होता. इन निर्देशों के चलते स्थिति ऐसी हो गई है कि ऑटो चालक सीएनजी की रकम भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं तो घर का खर्चा चलाना तो बहुत दूर की बात है.

अनलॉक-1 में भी ऑटो वालों की मुसीबतें जस की तस, नहीं निकाल पा रहे सीएनजी का भी खर्चा.

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ऑटो चालक ने बताया कि ट्राइसिटी में ज्यादातर ऑटो मीटर से नहीं चलते हैं क्योंकि कोई भी सवारी मीटर के हिसाब से पैसा देना ही नहीं चाहती. अपना अनुभव सांझा करते हुए एक ऑटो चालक ने कहा कि पिछले 15 सालों से वह ट्राइसिटी में अपना ऑटो सड़कों पर दौड़ा रहे हैं लेकिन एक वाक्य भी ऐसा उन्हें याद नहीं जिसमें किसी भी सवारी ने उनको मीटर रीडिंग के हिसाब से चार्ज दिया हो. इसके चलते सवारियों से ऑटो चालक द्वारा ही कुछ राशि एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए निश्चित की गई है. अब सवारियों को बैठाने की संख्या निर्धारित होने के बाद ये किराया बढ़ना लाजिमी है.

सवारी परेशान, लेकिन समझ रही ऑटो वालों की मजबूरी

वहीं इस विषय पर जब सवारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अब कोई भी राशि हो, अगर उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचना है तो उसका भुगतान करना ही पड़ेगा. इसके अलावा कोई भी दूसरा विकल्प नजर नहीं आता क्योंकि ट्राइसिटी में चल रही सरकारी बसों का भी न्यूनतम किराया 20 रु निर्धारित कर दिया गया है तो ऐसे में जो ऑटो चालक सवारियों से चार्ज करेगा उसे देना ही होगा. इसके अलावा इन सवारियों ने ऑटो रिक्शा चालकों की समस्या को भी समझते हुए कहा कि ऑटो चालकों द्वारा किराया बढ़ाया जाना भी इनकी मजबूरी है क्योंकि नियम ही इस तरह का बना दिया गया है जिससे यह अपने सीएनजी का भी पैसा पूरी तरह नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में ऑटो चालक और सवारी दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है.

लॉकडाउन के इस पांचवे चरण यानि अनलॉक-1 के शुरू होने के साथ सरकार ने जहां लोगों को राहत मिलने की बात कही थी तो वहीं लोगों का कहना है कि लॉकडाउन से अनलॉक भले ही लागू हो गया है लेकिन मुसीबतें जस की तस है. इन्हीं मुसीबतों से इस समय ट्राइसिटी के ऑटो रिक्शा चालक जूझ रहे हैं. इस दौर में एक तो सवारिया कम और ऊपर से नियम भी कड़े, जिसके चलते इनके लिए अपनी दिहाड़ी भी निकाल पाना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.

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