चंडीगढ़: नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में लाए जाने के बाद हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि हिंदुस्तान पहले एक देश था. कांग्रेस ने धर्म के आधार पर इसके दो टुकड़े कर दिए, एक मुस्लिम देश बना दिया जिसका नाम पाकिस्तान है और एक हिंदुस्तान बनाया.
मुसलमानों ने अपने लिए पाकिस्तान मांग लिया था. उन्होंने कहा कि ठीक है कि सारे मुसलमान पाकिस्तान नहीं गए. हमने उन्हें स्वीकार भी कर लिया और वो आज भारत में रह रहे हैं. अब बिल पास किया जा रहा है कि अगर कहीं भी कोई भी सताया हुआ हो मुसलमानों के अतिरिक्त उसे हिंदुस्तान में नागरिकता दी जा सकती है.
सुनिए गृह मंत्री अनिल विज का बयान. इसमें किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि हिंदुओं की मदरलैंड हिंदुस्तान है. वहीं विज ने कहा कि मुसलमान अगर कहीं से सताए हुए हैं तो उन्हें पाकिस्तान जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसी मुसलमान को कहीं सताया जा रहा है तो वह भारत की बजाय पाकिस्तान जाए.
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लोकसभा में आसानी से हो जाएगा पारित
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक, यानी सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल को सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया. इसके जरिये पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी. विधेयक के लोकसभा में आसानी से पारित होने की संभावना है क्योंकि 545 सदस्यीय सदन में भाजपा के 303 सांसद हैं.
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?
नागरिकता संशोधन विधेयक का उद्देश्य छह समुदायों- हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है. बिल के जरिये मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके. चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है.
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है.
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लोकसभा में हुआ मतदान
लोकसभा में विधेयक को पेश किये जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संविधान के मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की.