चंडीगढ़:हरियाणा पुलिस ने इस साल के पहले छः माह में साइबर ठगी का शिकार हुए लगभग एक हजार पीड़ित लोगों के खातों में 7 करोड़ रूपए की राशि वापिस उनके खातों में भिजवाने में सफलता हासिल की (Anil Vij on cyber crime) है. यह जानकारी प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने पुलिस विभाग द्वारा आयोजित साइबर क्राइम की बैठक में (cyber crime meeting in chandigarh) दी. बैठक में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (साइबर अपराध) ओपी. सिंह भी उपस्थित रहे.
बैठक के दौरान विज ने राज्य के लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन ठगी हो जाती है तो वे तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर ठगी के संबंध में जानकारी मुहैया करवाएं ताकि साइबर क्राइम पर नकेल कसी जा (cyber crime in haryana) सके. उन्होंने कहा कि एक जागरूक उपयोगकर्ता होने के लिए साइबर अभ्यास करना और साकारात्मक संदेह की मानसिकता के साथ साइबर स्पेस को फैलाने से वह सुरक्षित हो सकता है. उन्होंने कहा कि संदेह होने पर क्लिक न करें, सुनिश्चित न होने पर पहचान संख्या सांझा न करें.
गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक साइबर डेस्क और प्रत्येक जिले और रेंज मुख्यालयों में एक साइबर पुलिस स्टेशन स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 309 साइबर डेस्क और 29 पुलिस थानों में 1000 से अधिक पुलिस जवान साइबर अपराधियों से निपटने के लिए तैनात किए गए हैं. इन इकाइयों को सीधे तौर पर या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से शिकायतें प्राप्त हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि पुलिस ने साइबर क्राइम के वर्ष 2019 में 366, वर्ष 2020 में 676, वर्ष 2021 में 670 और वर्ष 2022 के पहले छह महीने में 1010 मामले दर्ज किए गए हैं. मंत्री ने कहा कि साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर इस वर्ष के जून 2022 तक साइबर क्राइम की शिकायतों के आधार पर, राज्य पुलिस ने साइबर ठगों के खातो में से लगभग 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने पर रोक लगाई है और पीड़ितों को उनके खातों में वापस करवाया (cyber fraud in haryana) है.
गृह मंत्री ने कहा कि राज्य अपराध शाखा साइबर सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने और साइबर सुरक्षा में रोजगार के अवसरों के बारे में छात्रों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ‘साइबर सेफ इंडिया’ नामक एक व्यापक साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम पर काम कर रही है. यह कार्यक्रम समय-समय पर कई ऑनलाइन बहुविकल्पीय परीक्षण आयोजित करेगा और उच्च प्रतिशतता वाले लोगों को साइबर-वीर के रूप में पहचान देगा.
यह कार्यक्रम राज्य में साइबर पुलिस स्टेशनों और साइबर फोरेंसिक लैब में साइबर सुरक्षा में इंटर्नशिप की पेशकश भी करेगा. यह साइबर-वीरों को संसाधन व्यक्तियों के रूप में साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेने और योगदान के लिए उन्हें प्रमाण पत्र और मानदेय भी देगा. उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम विशेष रूप से राज्य भर के स्कूलों के हेड बॉयज और गर्ल्स पर केंद्रित होगा. इसका उद्देश्य क्षेत्र में उपलब्ध साइबर सुरक्षा और रोजगार के अवसरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उनके प्रभाव, आउटरीच और नेतृत्व कौशल का उपयोग करना है.
उन्होंने कहा कि आजकल डिजिटलीकरण होने के कारण नागरिकों की अधिक से अधिक रोजमर्रा की जिंदगी ऑनलाइन हो रही है. इस कारण बैंक खातों से ऑनलाइन ठगी करने के लिए ठगी की चपेट में आने वाले अंजान लोगों को ठगने के लिए डेटा, नेटवर्क और सिस्टम की हैकिंग भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि हैकिंग की सबसे अधिक चपेट में आने वाले व्यक्ति का दिमाग होता है और आम तौर-तरीकों में सोशल इंजीनियरिंग भी शामिल है. उन्होंने बताया कि लोगों को उनकी विशिष्ट पहचान संख्या और संवेदनशील डेटा के साथ भाग लेने के लिए ग्लोब टॉक और अन्य माध्यमों से धोखा दिया जाता है.