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अलविदा 2020: वो साल, जब हरियाणा में कोरोना से बदल गया चुनाव का सूरत-ए-हाल - 2020 में बदल गया प्रचार का तरीका

साल 2020 में कोरोना के प्रकोप से आम चुनाव की व्यवस्था भी अछूती नहीं रही. प्रचार के लिए होने वाली चुनावी रैलियों का स्वरुप बदल गया. रैलियां तक वर्चुअल हो गई. कोविड प्रोटोकॉल के कारण पार्टियां वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आ गई.

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वो साल, जब कोरोना से बदल गया चुनाव का सूरत-ए-हाल

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Published : Dec 23, 2020, 11:07 AM IST

Updated : Dec 31, 2020, 8:42 PM IST

चंडीगढ़:कोरोना वायरस ने इंसानी जीवन को बदलकर रख दिया है. कोरोना का असर जिंदगी के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर भी पड़ा है. कोरोना के कारण देश में चुनाव को लेकर कई नियम कायदे ही बदल गए.

कोरोना काल के दौरान हरियाणा में सबसे पहला चुनाव बरोदा विधानसभा सीट पर लड़ा गया. बरोदा उपचुनाव कोरोना गाइडलाइंस के हिसाब से कराए गए. सबसे पहले जान लेते हैं आखिर कोरोना के कारण चुनाव के रंग कैसे बदले गए.

अलविदा 2020: वो साल, जब कोरोना से बदल गया चुनाव का सूरत-ए-हाल

साल 2020 में कोरोना ने बदला चुनाव

कोरोना के कारण चुनाव में कई बड़े बदलाव किए गए. 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग और कोविड-19 मरीज व सस्पेक्टेड मरीजों के लिए बैलेट पेपर पर वोटिंग करने का प्रावधान किया गया. वोटर्स को 'पहले आओ-पहले पाओ' के आधार पर टोकन दिया गया, ताकि मतदान केंद्र पर लगने वाली भीड़ को कम किया जा सके.

बदल गए मतदान के नियम

पोलिंग अधिकारियों के सामने एक बार में एक ही मतदाता को जाने दिया गया, वो भी मास्क और दस्ताने पहनकर. कोरोना काल में हुए बरोदा उपचुनाव में 1 मतदान केंद्र में 1000 से अधिक मतदाता नहीं रखने का फैसला लिया गया. जबकि पहले 1500 मतदाता एक मतदान केंद्र में होते थे. वहीं मतदान के लिए समय अवधि बढ़ाई गई. सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान का समय रखा गया.

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2020 में बदल गया प्रचार का तरीका

कोरोना ने ना सिर्फ चुनाव का सूरत-ए-हाल बदला बल्कि चुनाव प्रचार का रंग-ढंग भी बदल दिया. वोट मांगने के लिए रैलियां अब चुनाव मैदान में नहीं बल्कि छोटे से कमरे में भी हो सकती हैं. ज्यादातर राजनीतिक दल कोरोना काल में प्रचार के लिए वर्चुअल रैली का सहारा ले रहे हैं.

साल 2020 में ऐसे बदली गई वोटिंग

कोरोना काल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए अब नेताओं को पत्रकारों के बीच जाने की जरूरत नहीं है. अब ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भी अपनी बात जनता तक पहुंचाई जा सकती है.

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भारत में रैलियों की तैयारी महीनों पहले से होने लगती थीं. कार्यकर्ता सक्रिय हो जाते. अधिक से अधिक लोगों को रैली में लाने के लिए तरह-तरह के जुगत किए जाते थे और जब लोग ले आए जाते थे तो फिर उन्हें ठहराने और खिलाने-पिलाने की व्यवस्था करनी होती थी. लोगों के लिए रात में नाच-गाने का कार्यक्रम चलता था.

कोरोना ने सबकुछ खत्म कर दिया. वर्चुअल के दौर में अब लिंक खोलिए और सीधे जुड़ जाइए. नेताओं को भी एक ही दिन कई जनसभाओं को संबोधित करने के लिए भाग-दौड़ की कोई चिंता नहीं. वाकई, बहुत कुछ बदल गया.

चुनाव में कोरोना का डर

साल 2020 में पहले जैसा नहीं रहा चुनाव

भारतीय जनता पार्टी ने जब वर्चुअल रैली के जरिए बिहार में नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया तो ये भारत के चुनावी इतिहास में एक नए युग की शुरुआत थी. न धूल उड़ी, न ही ढोल-नगाड़े का शोर सुनाई दिया, न ही गाड़ियों का काफिला दिखा और न ही लाउडस्पीकर की कानफोड़ू आवाज सुनाई दी लेकिन रैली हो गई. बीजेपी ने लाखों लोगों से कनेक्ट होकर अपनी बात कह दी. ऐसा ही हाल बरोदा उपचुनाव और फिर आने वाले चुनाव में हुआ.

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Last Updated : Dec 31, 2020, 8:42 PM IST

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