अलवर/ चंडीगढ़: राजस्थान के अलवर जिले के चर्चित मॉब लिंचिंग पहलू खान हत्याकांड में बुधवार को जिला कोर्ट ने इस केस के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. 2017 के इस मामले में भीड़ ने गो-तस्करी के मामले में पहलू खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. लेकिन अब अलवर कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.
इस मामले में सीबीसीआईडी ने नामजद 6 व्यक्तियों को (सुधीर यादव, हुकमचंद यादव, ओम यादव, नवीन शर्मा, राहुल सैनी और जगमाल सिंह) आरोपी नहीं माना था. उनकी जगह वीडियो फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर 9 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें दो नाबालिग भी शामिल थे. पुलिस ने विपिन, रवींद्र, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार, दीपक गोलियां और भीमराठी ओर दो नाबालिग को आरोपी बनाया था.
जानें क्या था पूरा मामला
बता दें कि एक अप्रैल, 2017 को हरियाणा के नूंह जिले के जयसिंहपूरा गांव निवासी पहलू खान अपने दो बेटों उमर और ताहिर के साथ जयपुर के पशु हटवाड़ा से दुधारू पशु खरीदकर अपने घर जा रहा था. इस बीच अलवर के बहरोड़ पुलिया के पास भीड़ ने गाड़ी को रुकवा कर पहलू और उनके बेटों से मारपीट की थी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने पहलू खान को बहरोड़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान 4 अप्रैल 2017 को उनकी मौत हो गई थी.
इस तरह शुरू हुई पुलिस की कार्रवाई
अपर लोक अभियोजक योगेंद खटाणा ने बताया कि दो अप्रैल 2017 को बहरोड़ थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. जांच के बाद पुलिस ने कोर्ट में विपिन, रवींद्र, कालूराम, दयानंद और योगेश कुमार के खिलाफ चार्जशीट 31 मई 2017 को पेश की थी. इसके बाद पुलिस ने दीपक गोलियां और भीमराठी को भी आरोपी मानते हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. उन्होंने बताया कि एडीजे कोर्ट में पुलिस द्वारा चार्जशीट पेश होने के बाद लगातार सुनवाई हुई. पहलू खान के बेटों सहित 44 गवाहों के बयान कोर्ट में कराए गए हैं.
गौरतलब है कि ये मामला राजस्थान से लेकर दिल्ली तक उठा था. इस मामले में वसुंधरा सरकार को देशभर में आलोचना झेलनी पड़ी थी. पिछले दिनों सरकार ने विधानसभा में मॉब लिंचिंग कानून पारित कराया है.
बात करें साल 2019 की, तो देशभर में अबतक गाय के नाम पर 8 हिंसा के मामले सामने आ चुके हैं. ये ना सिर्फ हरियाणा से बल्कि कर्नाटक, असम, झारखंड, मध्यप्रदेश, यूपी और बिहार राज्यों में भी हुई हैं.