चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दलों ने स्टार प्रचारकों की फौज मैदान में उतार दी है. बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा 18 कैबिनेट मंत्री प्रचार करेंगे जबकि कांग्रेस की ओर से भी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित कई कद्दावर नेता कमान संभाल रहे हैं.
कितना है अहीरवाल का असर?
हरियाणा की राजनीति में अहीरवाल क्षेत्र की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने जीटी रोड बेल्ट के साथ-साथ अहीरवाल में भी बेहतर प्रदर्शन किया था. अहीरवाल क्षेत्र हरियाणा में मुख्य रूप से गुरुग्राम और रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के हिस्से आते हैं. यहां की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी पहली बार जीती थी. यहां तक की पांच बार से लागातार जीत रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव तक चुनाव हार गए थे. यहां कुल आठ सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में माने जाते हैं.
2014 में बीजेपी का था दबदबा
2014 विधानसभा चुनाव में अहीरवाल के इकलौते राजा की संज्ञा रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह के सहारे बीजेपी ने यहां सभी सीटों पर कब्जा जमाया था. हालांकि इस बार वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और बीजेपी ने जिन विधायकों के टिकट काटे हैं उनमें से ज्यादतर राव इंद्रजीत समर्थक हैं और अहीरवाल के ही नेता हैं. हालांकि रेवाड़ी सीट से राव इंद्रजीत के समर्थक सुनील मुसेपुर को टिकट देकर बीजेपी ने उन्हें खुश रखने की भी कोशिश की है.
कांग्रेस की पकड़ हुई कमजोर
वहीं 2014 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस यहां कमजोर पड़ गई है और एक बार फिर अपना जनाधार तलाशने में जुटी हुई है. 2014 के चुनाव से पहले ही पार्टी के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे. इंद्रजीत के पार्टी छोड़ने के बाद से ही कांग्रेस को यहां से किसी चेहरे की तलाश थी. कांग्रेस ने इंद्रजीत के जाने के बाद अहीरवाल में कैप्टन अजय यादव पर दांव लगाया लेकिन कैप्टन लोकसभा चुनाव में इंद्रजीत के हाथों पटखनी खा गए.