भिवानी: देश में सकारात्मक एवं नकारात्मक परिप्रेक्ष्य सामान्तर चलते रहते हैं. कई बार दुर्भाग्य से नकारात्मक परिप्रेक्ष्य का वर्चस्व बन जाता है, जोकि समाज एवं राष्ट्र के लिए घातक है इसलिए युवाओं को जनसंचार का प्रयोग सकारात्मक सोच के साथ राष्ट्र निर्माण में करना चाहिए.
चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार का आयोजन ये विचार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.बीके कुठियाला ने चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन सभागार में मीडिया एंड कम्युनिकेशन स्टडीज विभाग एवं साहित्य अकादमी दिल्ली के संयुक्त सौजन्य से मीडिया संस्कृति और सामाजिक विकास: मुद्दे और परिप्रेक्ष्य विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार में बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कहे.
बता दें कि चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में मीडिया एंड कम्युनिकेशन स्टडीज विभाग एवं दिल्ली साहित्य अकादमी के संयुक्त सौजन्य से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार का आयोजन किया गया.
कुठियाला ने कहा कि देश को आजादी दिलाने में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है परंतु उस समय भी कुछेक मीडिया का रूख देश की तरफ ना होकर अंग्रेजी हुकूमत की ओर था.
उन्होंने 1942 के एक समाचार पत्र के नकारात्मक लेख का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि मीडिया भी समाज का एक हिस्सा है उसे अपने दायित्व बोध के साथ समाज एवं राष्ट्र हित में निष्पक्ष एवं पारदर्शिता से कार्य करने की जरूरत है.
उन्होंने आह्वान किया कि मीडिया को नकारात्मक समाचार नहीं पैदा करने चाहिए और ना ही इन्हें आगे प्रेषित करना चाहिए उन्होंने कहा कि जनसंचार के माध्यम से युवाओं को राष्ट्र, संस्कृति एवं समाज के लिए शिक्षा प्रहरी के रूप में कार्य करने की जरूरत है.
बतौर विशिष्ट अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक डॉ.के.जी सुरेश ने कहा कि मीडिया ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. मीडिया में नई तकनीक आई हैं जिनमें से सोशल मीडिया भी एक है. आज सोशल मीडिया का प्रचलन तो बढ़ा है परन्तु उस प्रसारित नकारात्मक सामग्री ने लोगों भ्रमित कर हिंसा और उपद्रवों को बढ़ावा दिया है.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आर.के मित्तल ने संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया एंड कम्युनिकेशन स्टडीज विभाग के राष्ट्रीय सेमिनार में मीडिया एवं शिक्षा जगत की बड़ी हस्तियों का शामिल होना विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है.
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