भिवानी: देश और प्रदेश को साफ सूथरा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान चला रखा है लेकिन कुछ लोग इस अभियान को सफल नहीं होने दे रहे हैं. आज भी लोग कहीं भी घर का कूड़ा-कर्कट फेंक कर गंदगी फैला देते हैं. ऐसा ही मामला शहर में भी देखने को मिला हैं. सेफ्टी टैंक मालिक शौचालयों के गड्ढों से मल मूत्र वेस्ट निकाल कर सड़कों के किनार फेंक देते हैं. जिसकी बदबू से आने जाने वालों लोगों को परेशानी होती है.
टैंक मालिक घरों से गंदगी निकाल कर खुद तो कमाई कर रहे हैं लेकिन उन्हें न तो लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है और न ही पर्यावरण से कोई सरोकार है. बरसात के इस मौसम में शौचालयों की गंदगी को खुले में फेंकना (Safety tank waste throwing road side in bhiwani) बीमारियों को न्यौता देना है. डॉ. पुनीत ग्रोवर ने बताया कि खुले में मल मूत्र वेस्ट को डालने से डायरिया, कोलेरा, हेपटाइटिस जैसी कई बीमारियों फैल सकती हैं.
गंदगी फैलाने का ये काम टैंक मालिक लंबे समय से कर रहे हैं लेकिन प्रशासन को इनकी करतूतों को पता नहीं है. प्रशासनिक अधिकारी आंखे बंद कर बैठे हैं और कोई भी कार्रवाई करने के मूड में नहीं हैं. स्थानीय लोगों का कहना है की गंदगी के कारण सड़कों से आना जाना उनके लिए मुश्किल हो गया है. उन्होंने प्रशासन से टैंक मालिकों के खिलाफ कार्यवाई करने की मांग की है. भारत स्वास्थ्य मिशन के जिला कोऑर्डिनेटर सतीश कुमार ने बताया कि मल मूत्र वेस्ट को खुले में डालना कानूनी अपराध है और इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान है। जिला प्रदूषण बोर्ड में भी इसकी शिकायत की जा सकती है.
सेफ्टी टैंक के मल मूत्र को निस्तारण के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में डालने की व्यवस्था है जिसके लिए सरकार ने कुछ फीस भी निर्धारित की है, लेकिन सेफ्टी टैंक मालिक फीस देने की बजाए नियमों को ताक पर रख वेस्ट को सडक़ों के किनारे फेंक रहे हैं. मल मूत्र वेस्ट निकालने का काम करने वाले सेफ्टी टैंक और ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन होना भी जरूरी है. रजिस्ट्रेश के बाद ही सेफ्टी टैंक मालिक सफाई का कार्य शुरू कर सकते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों को इनके रजिस्ट्रेशन की जांच करनी चाहिए.