भिवानी: वर्षों से हरियाणा की राजनीति को प्रभावित करती रही सतलुज-यमुना लिंक नहर (Sutlej Yamuna Link Canal) एक बार फिर से मुद्दा बनती नजर आ रही है. हरियाणा की भाजपा सरकार ने अपनी पार्टी के नेताओं के माध्यम से इस मुद्दे को लेकर पंजाब की आप सरकार को घेरना शुरू कर दिया हैं. इसी के चलते भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद धर्मबीर सिंह ने एक पत्रकार वार्ता का आयोजन कर कहा कि एसवाईएल के मुद्दे पर पंजाब सरकार विधानसभा में प्रस्ताव पारित करे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को आप पार्टी का मुखिया होने के नाते पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से बात करनी चाहिए जिससे हरियाणा को पानी मिल (Haryana Sutlej Yamuna Link Canal case) सकें.
उन्होंने साफ किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल को लेकर हरियाणा के हक में फैसला दे दिया है, तो पंजाब का कोई हक नहीं बनता कि वह हरियाणा के पानी को रोके. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को हरियाणा राज्य से पानी मिलता है दिल्ली के हिस्से का पानी देने में हरियाणा कोताही नहीं बरतता. उन्होंने कहा कि भिवानी का खेड़ा गांव अरविंद केजरीवाल का पैतृक गांव है. इसको मुद्दा बनाते हुए सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अपने खेड़ा गांव में जाकर देखे कि वहां पर पानी की क्या व्यवस्था (Haryana Punjab SYL controversy) है.
हरियाणा सतलुज यमुना लिंक नहर मामला ऐसे में एसवाईएल के निर्माण को लेकर पंजाब सरकार को अपनी विधानसभा में एक प्रस्ताव पास करना चाहिए, जिसमें वह यह कहे कि पानी को लेकर पंजाब राज्य सरकार नहीं बल्कि केंद्र सरकार उचित फैसला ले. सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की पहल पर देश के राज्यों में नहरों, नदियों और बांधों को जोड़ने संबंधी 99 महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिससे देश में जल का उचित प्रबंधन हुआ है. इसी कड़ी में अब एसवाईएल का पानी भी हरियाणा को मिलना चाहिए जिससे दक्षिण हरियाणा के रेगिस्तानी क्षेत्र में पानी पहुंच सकें.
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सांसद ने कहा कि कानूनी फैसलों को लागू करने में जिस प्रकार से पंजाब सरकार अड़ंगा लगा रही है, उससे पंजाब सरकार की तानाशाही साफ झलकती है. गौरतलब है कि पंजाब के क्षेत्र में एसवाईएल नहर ना बनने के कारण हरियाणा को 10 लाख एकड़ क्षेत्र को सिंचित नहीं किया जा सका, जिसके कारण हरियाणा प्रदेश को हर वर्ष 12 लाख टन खाद्यान्न की हानि उठानी पड़ती है. यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल नहर बन जाती तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न और दूसरे अनाज का उत्पादन करता, जिससे राज्य को कृषि पैदावार के रूप में 19 हजार 500 करोड़ रूपये अतिरिक्त लाभ मिलता.