अंबाला:नारायणगढ़ विधानसभा सीट हरियाणा की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. अंबाला जिले में आने वाला ये विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से 2014 में चर्चित हुआ था जब पहली भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी. इससे पहले यहां बीजेपी उम्मीदवार का जीतना तो दूर वो दूसरे स्थान तक भी नहीं पहुंचे थे.
गुर्जर नेताओं का रहा दबदबा
नारायणगढ़ विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा असर जाट मतदाताओं का रहता है. हालांकि इस सीट पर दबदबा गुर्जर समुदाय के नेताओं का रहा है. हरियाणा के गठन के बाद यहां अब तक हुए 12 चुनावों में सात बार गुर्जर समुदाय के व्यक्ति विधायक बने हैं. गुर्जर के अलावा राजपूत, सैनी और पंजाबी समुदाय के व्यक्ति भी यहां से विधायक बनते रहे हैं. 1967 के चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार लाल सिंह जीत दर्ज की थी. लाल सिंह गुर्जर समुदाय से ताल्लुख रखते थे. 1968 के चुनाव एक फिर यहां से कांग्रेस के टिकट पर लाल सिंह ही विधायक बने थे. 1972 में फिर यहां से कांग्रेस को कामयाबी हाथ लगी जब पार्टी के उम्मीदवार जगजीत सिंह ने जीत का परचम लहराया.
1977 के चुनाव में कांग्रेस की जीत का सिलसिला तोड़ते हुए पुराने कांग्रेसी नेता लाल सिंह ने यहां से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था. उन्होंने कांग्रेस के जगजीत सिंह शिकस्त दी थी. 1982 के चुनाव में लाल सिंह ने 1977 के प्रदर्शन को दोहराया और फिर कांग्रेस के जगजीत सिंह को हराया. हालांकि 1982 का चुनाव लाल सिंह ने निर्दलीय के तौर पर जीता था. 1987 के चुनाव में यहां से निर्दलीय जगपाल सिंह ने जीत का परचम लहराया. 1991 में बहुजन समाज पार्टी के सुरजीत कुमार ने जीत दर्ज की थी. 1996 में हविपा के राजकुमार यहां से विधायक चुने गए थे. साल 2000 के चुनाव में यहां से लोकदल के उम्मीदवार पवन कुमार ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे लाल सिंह हराया था.
33 साल बाद हुई कांग्रेस की वापसी
2005 के चुनाव में नारायणगढ़ सीट पर 33 साल बाद कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा. रामकिशन गुर्जर ने 2005 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर लगातार 10 साल तक यहां अपना दबदबा बनाए रखा. रामकिशन गुर्जर यहां से चार बार विधायक बनने वाले लाल सिंह के बेटे हैं. 1972 के बाद से कांग्रेस पार्टी यहां जीत के लिए तरस गई थी जिसे 2005 और 2009 में रामकिशन ने हासिल किया. 2009 में लगातार दूसरी जीत के बाद 2014 में भी उन्होंने कांग्रेस की टिकट हासिल की लेकिन इस बार वो जीत नहीं पाए और पहली बार नारायणगढ़ सीट पर साल 2014 में कमल खिला.
मोदी लहर में सैनी ने खिलाया कमल
साल 2014 में नारायणगढ़ का चुनाव बहुत सी अन्य सीटों की तरह मोदी लहर में बहने वाला चुनाव था. यहां भाजपा की टिकट पर उतरे नायब सिंह को लोगों ने 40 फ़ीसदी वोट देकर विधायक बनाया. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले थे. पहली एस सीट पर बीजेपी का परचम लहराया था.