अंबाला: कोरोना महामारी ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में आर्थिक मंदी के हालात पैदा कर दिए हैं. जिससे निपटने के लिए दुनिया भर की सरकारें अपने अपने स्तर पर कोशिशें कर रही हैं. इस बीच भारत सरकार भी लोगों को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए नई-नई योजनाएं धरातल पर लागू कर रही है. फिर चाहे वो मजदूरों के लिए हो या फिर व्यापारियों के लिए. सभी के लिए किसी न किसी स्तर पर रोजगार को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है.
लेकिन एक व्यवसाय ऐसा भी है जिस पर इस घातक कोरोना महामारी की मार सबसे ज्यादा पड़ रही है और हैरानी की बात तो ये है कि इस ओर सरकार का भी ध्यान नहीं जा रहा. जी हां हम बात कर रहे हैं होटल्स रेस्टोरेंट्स फार्म हाउसेस और बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स में अपनी कला का प्रदर्शन करते ऑर्केस्ट्रा के कलाकारों की.
आर्थिक मंदी की मार झेल रहे कलाकार
कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के बाद से अब तक ये कलाकार एक बार भी स्टेज पर परफॉर्म नहीं कर पाए हैं. जिसके चलते ये परिवार की रोजमर्रा की जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं. हालात ये हैं कि ऑर्केस्ट्रा कलाकार पैसे -पैसे के लिए मोहताज हो रहे हैं.
ईटीवी भारत इन ऑर्केस्ट्रा कलाकारों के हालातों का जायजा लेने अंबाला छावनी स्थित उनके ऑफिस पहुंचा. वहां जाकर पता लगा कि कोरोना की मार के चलते कुछ ऑर्केस्ट्रा संचालकों ने अपनी कला को छोड़ कर दूसरे व्यवसाय को चुन लिया ताकि वो अपने परिवार के रोजमर्रा के खर्चों को उठा सके.
कलाकारों के दर्द से रूबरू हुआ ईटीवी भारत
ईटीवी भारत की टीम ने ऑर्केस्ट्रा संचालक राजेश कुमार से बात कि जो पिछले 20-25 सालों से इसी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं राजेश कुमार ने बताया कि जब लॉकडाउन लगा था तो उन्होंने सोचा था कि एक-दो महीने में लॉकडाउन खुल जाएगा और उनका काम एक बार फिर चल जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. पिछले 4-5 महीनों से वो लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे थे.
उनका कहना है कि इंतजार के पल इतने लंबे हो गए कि उनकी सारी जमा पूंजी खर्च हो गई. आनन-फानन में उन्होंने मैरिज ब्यूरो का काम शुरू किया है. ताकि वो अपने घर का खर्चा उठा सकें. उन्होंने बताया कि इस काम को करने का मन तो नहीं है लेकिन जब परिवार की तरफ देखते हैं तो हर काम अच्छा लगने लगता है.