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गोहाना सब्जी मंडी में मासाखोर परेशान, ढाई महीने से बैठे हैं खाली - Gohana Vegetable Masakhore Trouble

गोहाना सब्जी मंडी में फड़ी लगाने की अनुमति नहीं मिलने से मासाखोर परेशान हैं. मासाखोरों का कहना है कि पिछले ढाई महीने से वे खाली बैठे हैं. उनके पास रोजगार नहीं है. मंडी मार्केट कमेटी का कहना है कि जैसे उन्हें आदेश मिलेंगे, वैसे ही इन्हें फड़ी लगाने की इजाजत दे देंगे.

Masakhore in trouble in Gohana vegetable market
Masakhore in trouble in Gohana vegetable market

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Published : Jun 4, 2020, 1:44 PM IST

सोनीपत: लॉकडाउन 5.0 में भी गोहाना सब्जी मंडी में मासाखोरों की परेशानी खत्म नहीं हुई. मासाखोरों को सब्जी मंडी परिसर में फड़ी लगाने के लिए मंडी कमेटी ने मंजूरी नहीं दी है. जिला प्रशासन की तरफ से मासाखोरों को समझाया गया है कि मंडी में फड़ी लगाने से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है.

ढाई महीने से खाली बैठे हैं मासाखोर

इन मासाखोरों ने मार्केट सचिव और सोनीपत प्रशासन पर उनकी अनदेखी के आरोप लगाए हैं. मासाखोर मुकेश का कहना है कि लगभग ढाई महीने से उनके पास काम नहीं है और वे खाली बैठे हैं.

मासाखोरों ने कहा कि उनके बच्चे भूखे मर रहे हैं. उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई कि उन्हें सब्जी मंडी में बैठने की अनुमति दी जाए. उन्होंने बताया कि घर में अनाज खरीदने के लिए पैसे नहीं है. कमाने के लिए यहां पर फड़ी लगाकर अपना काम करते हैं, लेकिन सरकार ने ये काम बंद कर रखा है.

उन्होंने बताया कि एसडीएम ने काम करने की अनुमति दे दी है, लेकिन मार्केट सचिव काम कराने के लिए तैयार नहीं है. शहर में सभी दुकानें खुली हुई हैं, लेकिन यहां पर खुली जगह होने के बावजूद भी हमें काम करने नहीं दिया जा रहा है. मार्केट सचिव परमजीत नांदल ने बताया कि मासाखोरों को अभी सब्जी मंडी के अंदर फड़ी लगाने के आदेश नहीं दिए गए हैं.

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उन्होंने बताया कि यहां पर कोरोना महामारी फैल सकती है, क्योंकि करीब 250 के करीब यहां पर मासाखोर हैं. अभी प्रशासन की तरफ से हमारे पास लेटर नहीं आया है. जैसे ही डीसी के आदेश आएंगे, तुरंत मासाखोरों को फड़ी लगाने की इजाजत दे दी जाएगी.

कौन होते हैं मासाखोर?

मासाखोर सब्जी मंडी में बैठने वाले वो व्यापारी होते हैं. जो फुटकर तौर पर सब्जी बेचते हैं. इनके पास थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सभी सब्जियां होती हैं. जहां से लोग फुटकर खरीदारी करते हैं. मासाखोर शब्द पुराने जमाने के मासा-तोला शब्द से बना है. जिसका अर्थ होता है रत्ती भर. अर्थात जो सब्जी विक्रेता थोड़ी मात्रा में सब्जी बेचते हैं. उन्हें मासाखोर कहते हैं.

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