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Geeta Gyan : कोई भी मनुष्य किसी भी अवस्था में क्षणमात्र भी ... - गीता ज्ञान

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Published : Oct 1, 2022, 6:07 AM IST

यज्ञों के द्वारा प्रसन्न होकर देवता तुम्हें भी प्रसन्न करेंगे और इस तरह सबको संपन्नता प्राप्त होगी. मनुष्य को शास्त्र विधि से नियत किये हुए कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म नहीं करने से शरीर का सुचारू संचालन भी नहीं होगा. जो मनुष्य मन से इन्द्रियों पर नियंत्रण करके आसक्ति रहित होकर निष्काम भाव से समस्त इन्द्रियों के द्वारा कर्म योग का आचरण करता है वही श्रेष्ठ है. नियत कर्मों के अतिरिक्त किए जाने वाले कार्यों में लगा हुआ मनुष्य कर्मों से बंधता है, इसलिये मनुष्यों को आसक्ति रहित होकर कर्म करना चाहिए. Geeta Saar . Saturday motivational quotes . Geeta Gyan .

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