Geeta Gyan : जो सम्पूर्ण इन्द्रियों को नियंत्रित करता है, किन्तु इन्द्रिय विषयों का मानसिक चिंतन करता रहता है, वह निश्चित रूप से...
आत्म-साक्षात्कार का प्रयत्न करने वाले मनुष्य दो प्रकार के होते हैं| कुछ इसे ज्ञान योग द्वारा समझने का प्रयत्न करते हैं तो कुछ भक्ति-मय सेवा के द्वारा. मनुष्य न तो कर्मों का आरंभ किये बिना निष्कर्मता को प्राप्त होता है और न ही कर्मों के त्याग मात्र से सिद्धि को प्राप्त होता है. कोई भी मनुष्य किसी भी अवस्था में क्षणमात्र भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता क्योंकि प्रकृति के गुणों के अनुसार विवश होकर प्राणियों को कर्म करना ही पड़ता है.जो मनुष्य मन से इन्द्रियों पर नियंत्रण करके आसक्ति रहित होकर निष्काम भाव से समस्त इन्द्रियों के द्वारा कर्म योग का आचरण करता है, वही श्रेष्ठ है. मनुष्य को शास्त्र विधि से नियत किये हुए कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म नहीं करने से शरीर का सुचारू संचालन भी नहीं होगा. Geeta Saar. Todays Motivational Quotes