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Geeta Gyan : माता-पिता जैसे गुरुजनों की पूजा करना, पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा ही ...

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Published : Sep 23, 2022, 6:17 AM IST

इस संसार में समस्त कर्म प्रकृति के गुणों द्वारा ही किये जाते हैं, जो मनुष्य सोचता है कि 'मैं कर्ता हूं' उसका अन्तःकरण अहंकार से भर जाता है, ऐसा मनुष्य अज्ञानी होता है. जिस मनुष्य ने काम और क्रोध को सदा के लिए जीत लिया है वही मनुष्य इस लोक में योगी है और वही सुखी है. जो भक्ति भाव से कर्म करता है, जो विशुद्ध आत्मा है और अपने मन तथा इन्द्रियों को वश में रखता है, वह सबका प्रिय होता है और सभी लोग उसे प्रिय होते हैं. कर्मयोग के बिना संन्यास सिद्ध होना कठिन है, मननशील कर्मयोगी शीघ्र ही ब्रह्म को प्राप्त करता है. Geeta Saar . motivational quotes . Geeta Gyan .

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