जम्मू-कश्मीर में फसलों को बंदरों से बचाने का अनूठा उपाय, किसानों ने शुरू की औषधीय पौधों की खेती
जम्मू-कश्मीर के डोडा में जंगलों के किनारे बसे गांवों के कई किसानों ने फसलों को बंदरों से बचाने का अनूठा उपाय निकाला है. उनकी मदद की है आयुष मंत्रालय ने. इन किसानों ने पारंपरिक चावल, गेहूं और मक्का के बजाय औषधीय पौधों की खेती शुरू कर दी है. किसान शबनम बेगम ने कहा कि जब हम यहां पर मक्के की खेती करते थे तो हमको बहुत फायदा होता था लेकिन बाद में बंदरों ने खेती उजाड़नी शुरू कर दी. बंदर फसल नहीं होने देते हैं. इसलिए उन्होंने औषधीय पौधों की खेती शुरू कर दी है. दरअसल, जंगलों से घिरे डोडा की घाटियों में बसे किसान सालों से जंगली बंदरों का कहर झेल रहे थे. जंगलों का आकार घटता जा रहा था और शहरों का दायरा बढ़ता जा रहा था. ऐसे में शायद बंदरों के पास भी पेट भरने के लिए खेतों का रुख करने के सिवाय कोई चारा न था. हालांकि, किसानों को इससे हर साल लाखों का नुकसान होता था. ऐसे में बंदरों से परेशान होकर किसानों ने खेती करनी ही छोड़ दी है. अब भदेरवाह घाटी के सैकड़ों किसान लैवेंडर जैसे सुगंधित पौधों की खेती कर रहे हैं, जिनसे बंदर दूर रहते हैं. चिनाब के पास पहाड़ी इलाकों में भारी संख्या में बंदर पाए जाते हैं. बंदरों से होने वाले नुकसान को देखते हुए अब बुजुर्ग किसान भी पारंपरिक खेती को अलविदा कहने की सोच रहे हैं.