मद्धम हो गई मिट्टी के दीयों की चमक, फीकी हो गई कुम्हारों की दिवाली - Diya makers hold on to dying art
आज आधुनिकता की चकाचौंध में लोग अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं. अब न मिट्टी के बर्तनों के खरीदार बचे हैं और न ही सदियों पुरानी इस कला को चाहने वाले. आज मटके के जगह फ्रिज और दीयों की जगह फैंसी लाइटों ने ले ली है. चाइनीज दीयों की चमक में कुम्हार के हाथों से बने मिट्टी के दीये की लौ कम कर दी है.