Lata Mangeshkar: कितने तन्हा हो गए हम आपके जाने के बाद: अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन
देश-दुनिया के जाने-माने गजल गायक अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन ने सुरों की साम्राज्ञी लता मंगेशकर को संगीत की सरस्वती के रूप में याद किया. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में देश के इन दो नामचीन फनकारों ने कहा कि सारा जमाना उन्हें इसी रूप में याद करता रहेगा. लता मंगेशकर से अपनी पहली मुलाक़ात को याद करते हुए हुसैन बंधुओं ने बताया कि 1979 में सबसे पहले लता जी से मिलने का मौका मिला था. कुछ उनके और हमारे करीबी लोगों की बदौलत उनसे मुलाकात हुई थी. दो घंटे के वक्त में लता जी ने अपने व्यवहार से दिल जीत लिया. मां सरस्वती की मानस पुत्री के रूप में लता जी दुनिया में संगीत की देवी की तरह आस्था का विषय बनी हुई हैं. दुनिया में ऐसा फनकार न कभी पैदा हुआ और न होगा. अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन गजल गायकी के लिए मशहूर हैं, लेकिन फिल्म वीर-जारा में शाहरूख और प्रीति जिंटा पर हुसैन बंधुओं ने पहली बार फिल्मों पर कव्वाली गाई. अपने उन दिनों को याद करते हुए हुसैन बंधू कहते हैं कि मदन मोहन जी के आग्रह के कारण हमने कव्वाली गाई और उस फिल्म में ज्यादातर गानों में लता जी की आवाज का जादू था.हमें गर्व है कि हमें इस फिल्म के जरिए उनके साथ हमारा नाम हमेशा के लिए जुड़ गया.