केरल ही नहीं महाराष्ट्र के जंगलों में भी होती रही हैं जानवरों की निर्मम हत्या - wild animals killed in Maharashtra
केरल में हथिनी की निर्मम तरीके से हुई हत्या की घटना ने मानवता को शर्मशार कर दिया. यह पहली बार नहीं है जब वन्यजीवों के साथ क्रूरता की गई है. केरल ही नहीं महाराष्ट्र के जंगलों में भी कई बार जानवरों को क्रूरतापूर्वक मार दिया गया है. महाराष्ट्र के जलगांव, गढ़चिरौली, चंद्रपुर और बीड के जंगलों में कई बार जानवरों को निर्मम तरीके से मारा गया है. वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक सुरेश चोपणे ने बताया कि चंद्रपुर जिले में स्थित ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में ताडोबा में बाघों का शिकार किया जाता था, वे बहुत ही अमानवीय और क्रूर तरीके से मारे गए हैं. बहेलिया जनजाति का पारंपरिक व्यवसाय शिकार है. इन शिकारियों के तार अंतरराष्ट्रीय शिकार गिरोहों से जुड़े थे और इन्हें एक बाघ को मारने के लिए एक लाख रुपये तक मिलते थे. इसलिए वह मध्य प्रदेश से चंद्रपुर आया करते थे और ताडोबा में एक साल के भीतर तीन से चार बाघों का शिकार किया करते थे. गर्मियों में पानी की कमी बाघों के प्रवास को सीमित करती है. इसलिए बाघ के इंतजार में यहां जाल लगाए गए। बाघों को क्रूर और अमानवीय तरीके से मार दिया गया था, जैसे कि 'तार जाल' या 'जबड़े का जाल' बिछाकर. यदि इस जाल में बाघ का पैर गिर गया, तो उसकी हड्डी उखड़ जाती थी. कुछ दिनों में बाघ रक्तस्राव और दर्द से मर जाते थे. इस तरह की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन ऐसी अंतिम घटना 2012 में देखने को मिली थी.
Last Updated : Jun 6, 2020, 12:40 AM IST