Watch Video: मणिपुर में जातीय हिंसा की भेंट चढ़ रही खेती, किसानों को रोजी-रोटी के भी लाले - मणिपुर में हिंसा
मणिपुर में संकट का असर अब खेती पर पड़ रहा है. जातीय समुदायों के बीच नफरत इस हद तक बढ़ गई है कि ग्रामीण अपनी ज़मीन जोतने में नाकाम हैं. इससे उनकी रोजी-रोटी ख़तरे में पड़ गई है. कडंगबंद के ग्राम प्रधान, सुनील ने कहा कि हमने खेती-बाड़ी करना एकदम छोड़ दिया है इस बार. आधे से कम खेती किया है हमने इस बार. आगे अगले साल धान का क्या दाम होगा. हमारे बच्चों की स्कूलिंग एकदम ठप हो चुकी है और हम लोग अभी रिलीफ कैंप में बैठे हैं. रिलीफ कैंप में 200 आदमी हम लोग दिन-रात खाना खा रहे हैं. ये है दिक्कत यहां की. कडंगबंद इंफाल घाटी के पश्चिमी सेक्टर में ऐसा आखिरी गांव है जहां मैतेई समुदाय का खास असर है. हिंसा का डर इतना हावी हो गया है कि ये गांव वालों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है. हिंसा का डर इस हद तक बढ़ गया है कि इसका असर गांव वालों की रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ रहा है. उनकी जिंदगी खेती पर ही निर्भर है. कडंगबंद की निवासी मैसनाम रंजना देवी का कहना है कि अपने ही खेतों में हम खेती नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि कुकी मिलिटेंट की गोलियों से हमें डर लगता है, अपने घर में भी होकर हम शांति से नहीं रहें. कई-कई समस्याएं इस गांव में हम सह रहे हैं, हम अपने घर में भी चैन से सो नहीं सकते, अपने खेतों में भी काम नहीं कर सकते. इतना ही नहीं, हमें बोलने में भी बहुत मुश्किल होती है. कडंगबंद गांव की महिलाओं ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया और राज्य में जल्द से जल्द शांति बहाल करने की मांग की.