आज की प्रेरणा - हनुमान भजन
बुद्धि, ज्ञान, संशय तथा मोह से मुक्ति, क्षमा भाव, सत्यता, इन्द्रियनिग्रह, मननिग्रह, सुख तथा दुख, जन्म, मृत्यु, भय, अभय, अहिंसा, समता, तुष्टि, तप, दान, यश तथा अपयश-जीवों के ये विविध गुण मेरे ही द्वारा उत्पन्न हैं. जो व्यक्ति भक्ति के अमर पथ का अनुसरण करते हैं और जो परमात्मा को ही अपना परम लक्ष्य बना कर श्रद्धा सहित पूर्णरूपेण संलग्न रहते हैं, वे भक्त परमात्मा को अत्यधिक प्रिय हैं. शुद्ध भक्तों के विचार परमात्मा में वास करते हैं, उनका जीवन परमात्मा की सेवा में समर्पित रहता है और वे एक दूसरे को ज्ञान प्रदान करते तथा परमात्मा के विषय में बातें करते हुए परम संतोष तथा आनन्द का अनुभव करते हैं. जो प्रेम पूर्वक परमात्मा की सेवा करने में निरंतर लगे रहते हैं, उन्हें परमात्मा ज्ञान प्रदान करते हैं, जिसके द्वारा वे परमात्मा तक पहुंच सकते हैं. जिस प्रकार सर्वत्र प्रवाहमान प्रबल वायु सदैव आकाश में स्थित रहती है, उसी प्रकार समस्त उत्पन्न प्राणियों को परमात्मा में स्थित जानो.