जानने की शक्ति, सच को झूठ से पृथक करने वाली जो विवेक-बुद्धि है, उसी का नाम ज्ञान है. फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है. जब व्यक्ति अपने कार्य में आनंद खोज लेता है, तब वह पूर्णता को प्राप्त करता है. प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं रहता. तुमने जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया, जो आज तुम्हारा है, वह कल किसी और का होगा क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है. जिस तरह प्रकाश की ज्योति अंधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है. इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए. अपने अनिवार्य काम करो क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है. जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है, वह बुद्धिमान व्यक्ति होता है. तेरा-मेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो. ज्ञानी पुरुष, ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है. बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए.