Positive Bharat Podcast: ...जब माखनलाल चतुर्वेदी ने ठुकरा दिया था मुख्यमंत्री का पद, सुनिए आखिर क्या थी वजह
साल 1956, मध्यप्रदेश को राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ. इस दर्जे के साथ कई जिम्मेदारियां भी आईं, लेकिन सबसे बड़ा मुख्य सवाल था कि आखिर इस राज्य का मुख्यमंत्री कौन बनेगा. दावेदारी खूब थी, लेकिन योग्य दावेदार की तलाश थी. ऐसे में किसी भी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी. काफी विचार-विमर्श के बाद तीन चेहरों को मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए तय किया गया. प्रथम थे, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, दूसरे थे पंडित रविशंकर शुक्ल और तीसरे थे पंडित द्वारका प्रसाद मिश्रा. तीनों ही योग्य, अनुभवी और चतुर थे. ऐसे में तीनों में से मुख्यमंत्री कौन होगा. इसके लिए एक बड़ा ही आम सा तरीका इस्तेमाल में लाया गया. दरअसल, जब देखा गया कि तीनों में से किसी एक नाम को ही मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाना है, तो तीनों का नाम तीन पर्चियों में लिख कर एक लॅाटरी निकाली गई. इस लॅाटरी में नाम आया पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का. इस तरह यह तय हुआ कि आजाद भारत के राज्य मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ही होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. आगे क्या हुआ आइये सुनते हैं...