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Geeta Sar : जो दान प्रत्युपकार की भावना से या कर्म फल की इच्छा से या अनिच्छा पूर्वक किया जाता है, वह... - bhagvadgita

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Published : Nov 19, 2022, 6:53 AM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:33 PM IST

सतोगुणी व्यक्ति देवताओं को पूजते हैं रजोगुणी यक्षों व राक्षसों की पूजा करते हैं और तमोगुणी व्यक्ति भूत-प्रेतों को पूजते हैं. योगीजन ब्रह्म की प्राप्ति के लिए शास्त्रीय विधि के अनुसार यज्ञ, दान तथा तप की समस्त क्रियाओं का शुभारम्भ सदैव ओम से करते हैं. जो दान कर्तव्य समझकर, किसी प्रत्युपकार की आशा के बिना समुचित काल तथा स्थान में और योग्य व्यक्ति को दिया जाता है वह सात्विक माना जाता है. जो तपस्या दंभ पूर्वक तथा सम्मान, सत्कार एवं पूजा कराने के लिए संपन्न की जाती है, वह राजसी कहलाती है. Geeta saar . Aaj ki prerna . Todays Motivational quotes .
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:33 PM IST

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