आज की प्रेरणा
कर्म का स्थान अर्थात ये शरीर, कर्ता, विभिन्न इन्द्रियां, अनेक प्रकार की चेष्टाएं तथा परमात्मा- ये पांच कर्म के कारण हैं. यज्ञ, दान तथा तपस्या के कर्मों का कभी परित्याग नहीं करना चाहिए, उन्हें अवश्य सम्पन्न करना चाहिए. निःसंदेह यज्ञ दान तथा तपस्या महात्माओं को भी शद्ध बनाते हैं.