आज की प्रेरणा
सम्पूर्ण कर्म परमात्मा को अर्पण करके उम्मीद, ममता और संताप रहित होकर मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. ऐसा परमात्मा का आदेश है. जो परमात्मा के आदेशों की उपेक्षा करते हैं और इनका पालन नहीं करते वो समस्त ज्ञान से रहित, दिग्भ्रमित तथा नष्ट-भ्रष्ट हो जाएंगे. जो मनुष्य दोष-दृष्टि से रहित होकर परमात्मा के आदेशों के अनुसार अपना कर्तव्य करते हैं, इस उपदेश का श्रद्धापूर्वक पालन करते हैं, वे सकाम कर्मों के बन्धन से मुक्त हो जाते हैं. सहसा ही अपने नियत कर्म त्याग कर तथाकथित योगी या कृत्रिम अध्यात्मवादी नहीं बन जाना चाहिए. बल्कि हठ त्यागकर, यथास्थिति में ही, श्रेष्ठ प्रशिक्षण के अन्तर्गत कर्मयोग का प्रयत्न करना चाहिए.