रथयात्रा विशेष : जानिए भगवान कृष्ण के पूरे शरीर पर क्यों लगाते हैं चंदन का लेप
पुरी की रथ यात्रा के दौरान चंदन यात्रा को त्योहार के समापन उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें कई धार्मिक उत्सव शामिल होते हैं. चंदन महोत्सव का अविभाज्य घटक चंदन का पेस्ट और पानी है. यह त्योहार बैसाख के महीने में बेहद गर्मी में मनाया जाता है. चंदन यात्रा में भगवान को नावों में पवित्र भ्रमण कराया जाता है. इसके लिए भगवान को मंदिरों से बाहर लाया जाता है. भगवान को ले जाने के लिए भव्यता से सजाई गई झांकियों या नावों को 'चाप' कहा जाता है. आम तौर पर लाल और सफेद रंग से सजाई गई नावें पानी पर तैरते हुए विशाल हंसों जैसी दिखाई देती हैं. नरेंद्र सरोवर से 21 दिवसीय यात्रा शुरू होने के साथ रथों का निर्माण विधि-विधान के साथ शुरू हो जाता है. भगवान के रथों के लिए पवित्र लकड़ी का पूजन किया जाता है. चंदन यात्रा के दौरान महाप्रभु के प्रतिनिधि मदन मोहन, भूदेवी, श्रीदेवी, राम-कृष्ण के साथ पंच महादेव नौका विहार करते हैं. जगन्नाथ धाम में महाप्रभु की चंदन यात्रा के लिए नरेंद्र पुष्करणी को सजाया जाता है. चंदन यात्रा ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी तिथि तक आयोजित की जाती है. यह त्योहार अक्षय तृतीया से शुरू होता है और 21 दिनों तक चलता है. इस दौरान समस्त वैष्णव भक्त अपने आराध्य भगवान कृष्ण के पूरे शरीर पर चंदन का लेप लगाकर रखते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वैशाख-ज्येष्ठ की भीषण गर्मी से भगवान को बचाया जा सके.