जगन्नाथ मंदिर को श्रीमंदिर भी कहते हैं
जगन्नाथ मंदिर जिसे स्थानीय लोग श्रीमंदिर कहते हैं. इसे पूर्वमुखी इसलिए बनाया गया था, ताकि इस पर उगते सूरज की पहली किरण पड़े. मंदिर परिसर दस एकड़ में फैला है और दो दीवारों से घिरा हुआ है. बाहरी दीवार को मेघनाद प्राचीर कहा जाता है और भीतरी दीवार को कुर्म भेद कहा जाता है. मुख्य गर्भगृह जिसे बड़ा देउल कहा जाता है. लंबा घुमावदार शिखर है, जिससे जुड़ा एक स्तंभित सभा हाल है. शिखर के ऊपर आठ धातुओं से बना एक विशाल पहिया है. जिसे नीलचक्र कहा जाता है. इसके ऊपर एक विशाल ध्वज लहराता रहता है. बड़दंडा से मुख्य प्रवेश द्वार को सिंहद्वार कहा जाता है. यह पत्थर के दो शेरों द्वारा संरक्षित है. यह वह द्वार है जहां से देवताओं को रथ यात्रा के लिए रथों में बिठाने के लिए निकाला जाता है. सिंहद्वार के ठीक पीछे भगवान जगन्नाथ की एक छवि है जिसे पतितपावन कहा जाता है. इस छवि के दर्शन गैर-हिंदू कर सकते हैं, जिन्हें मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. मंदिर के दो संरक्षकों जिन्हें जया और विजया कहा जाता है उनकी छवियां द्वार पर विराजमान हैं.