भगवान जगन्नाथ का सबसे शक्तिशाली हथियार नीलचक्र - गरुड़ सेवक
भगवान जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर धातु का पहिये को नीलचक्र के रूप में जाना जाता है. ये पहिया आठ धातुओं से बना है, जिसमें लोहा, तांबा, जस्ता, पारा, शीशा, पीतल, चांदी और सोना शामिल हैं. इसकी परिधि लगभग 36 फीट है. इसे विशेष तरह से बनाया गया है, जिसमें पहिये के अंदर पहिया है. भीतरी पहिये की परिधि लगभग 26 फीट है. बाहरी पहिये पर सजावट की गयी है. नीलचक्र की मोटाई 2 इंच है. पहिये को भगवान जगन्नाथ का सबसे शक्तिशाली हथियार, सुदर्शन चक्र कहा जाता है. मंदिर के अंदर, चक्र को 'सुदर्शन' के रूप में भी पूजा जाता है. लेकिन मंदिर के अंदर सुदर्शन एक पहिये के आकार में नहीं है, बल्कि भगवान जगन्नाथ की छवि के बाईं ओर रखे लकड़ी के एक छोटे स्तंभ के आकार में है. मंदिर के सेवकों में नीलचक्र की सेवा करने वाले लोगों की एक विशिष्ट श्रेणी होती है और उन्हें गरुड़ सेवक के नाम से जाना जाता है. श्रद्धालु इन सेवायतों को उच्च सम्मान देते हैं, क्योंकि हर दिन सूर्यास्त के समय गरुड़ सेवक नीलचक्र से जुड़े बांस के मस्तूल पर भक्तों द्वारा चढ़ाए गए झंडे को बांधने के लिए 214 फीट ऊंची मंदिर की चोटी पर चढ़ते हैं. नीलचक्र से जुड़ा पोल 38 फीट लंबा है. इसकी चौड़ाई को ढकने के बाद यह खम्भा 25 फुट और ऊंचा होता है.