दिल्ली

delhi

ETV Bharat / videos

मौसी मां से मिलने जाते हैं भगवान जगन्नाथ, जानें क्या है 'पोडा पीठा'

By

Published : Jul 16, 2021, 4:02 AM IST

पुरी के श्री मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू होकर गुंडिचा मंदिर जाती है. गुंडिचा मंदिर से भगवान की वापसी यात्रा आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की दशमी से शुरू होती है. वापसी रथयात्रा को बाहुड़ा या उल्टा रथ यात्रा कहा जाता है. इस यात्रा को दक्षिणाभिमुखी यात्रा के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकि रथ दक्षिणी दिशा की ओर बढ़ता है. शाम से पूर्व ही रथ जगन्नाथ मंदिर तक पहुंच जाते हैं. बाहुड़ा यात्रा का तात्पर्य मंदिर में तीन रथों की वापसी यात्रा से है. इन रथों की वापसी यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ मौसी मां मंदिर में कुछ देर के लिए रुकते हैं. मौसी मां को अर्धसानी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, जो भगवान जगन्नाथ की मौसी मां को समर्पित है. इस मंदिर में भगवान को नारियल, चावल, गुड़ और दाल से बनी मिठाई 'पोडा पीठा' चढ़ाई जाती है. मौसी मां मंदिर में कुछ समय बिताने के बाद, भगवान मुख्य मंदिर के लिए अपनी आगे की यात्रा शुरू करते हैं. देवी सुभद्रा और बलभद्र जी का रथ आगे बढ़ता है और सिंह द्वार पर खड़ा होता है, जबकि जगन्नाथ जी का रथ राजा के महल के सामने रुकता है. ऐसा कहा जाता है कि जगन्नाथ जी के रथ की वापसी पर देवी लक्ष्मी चाहनी मंडप से एक झलक देखती हैं. भगवान की ओर से प्रेमपूर्ण स्मृति चिन्ह के रूप में उन्हें एक माला भेंट की जाती है. देवी लक्ष्मी मंदिर लौटती हैं और भगवान की प्रतीक्षा करती हैं. बाहुड़ा यात्रा के दिन भगवान अपने रथों में मुख्य मंदिर के सामने खड़े रहते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details