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कारगिल विजय की कहानी, जानें रिटायर्ड हवलदार सत्येंद्र सिंह की जुबानी

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Published : Jul 26, 2020, 5:37 PM IST

Updated : Jul 26, 2020, 5:51 PM IST

साल 1999 में कारगिल युद्ध में भारत के शूरवीरों ने एक बार फिर दुश्मन को मात देकर तिरंगा लहराया था. 1999 में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर कारगिल में लगभग तीन माह तक चले युद्ध के दौरान 26 जुलाई को देश के जवानों ने दुश्मनों को धराशाई कर देश का मान बढ़ाते हुए कारगिल की चोटी पर शान से तिरंगा लहराया था. झारखंड के जमशेदपुर के रहने वाले सत्येंद्र सिंह कारगिल युद्ध के गवाह हैं. 1978 में 20 वर्ष की आयु में फौज में शामिल हुए सत्येंद्र सिंह अब रिटायर्ड हो चुके हैं. सिपाही से हवलदार बनने तक के सफर में वह सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत में शामिल रहे हैं. माइनस 50 डिग्री तापमान में ऑपरेशन मेघदूत में पताका लहराने के बाद सत्येंद्र सिंह 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना से लोहा लेकर कारगिल पर विजयी तिरंगा लहराने के बाद 2002 में रिटायर्ड हो गए.
Last Updated : Jul 26, 2020, 5:51 PM IST

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