Geeta Sar : यदि मानव परमात्मा के लिए कर्म करने में असमर्थ हो, तो अपने... - bhagvadgita reading listening
विधि-विधान से किये हुए परधर्म से गुणरहित किन्तु स्वभाव से नियत अपना धर्म श्रेष्ठ है . यदि मनुष्य कर्म फलों का त्याग तथा आत्म-स्थित होने में असमर्थ हो तो उसे ज्ञान अर्जित करने का प्रयास करना चाहिए. सतोगुण मनुष्यों को सारे पाप कर्मों से मुक्त करने वाला है. जो लोग इस गुण में स्थित होते हैं,वे सुख तथा ज्ञान के भाव से बंध जाते हैं. ज्ञान से श्रेष्ठ ध्यान है और ध्यान से भी श्रेष्ठ कर्मफलों का परित्याग क्योंकि ऐसे त्याग से मनुष्य को परम शांति मिलती है. जो व्यक्ति प्रकृति , जीव तथा प्रकृति के गुणों की अन्तःक्रिया से सम्बन्धित परमात्मा की विचारधारा को समझ लेता है उसे मुक्ति की प्राप्ति सुनिश्चित है, उसकी वर्तमान स्थिति चाहे जैसी हो. Shri krishna. Reading listening Geeta . motivational quotes . Geeta Sar . Monday Quotes.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:32 PM IST