भोजपुरी भाषियों से सीखें, कैसे अपनी बोली को सिर-माथे पर रखना चाहिए : मालिनी अवस्थी
लोक गायिकी की दुनिया में मालिनी अवस्थी एक जाना-पहचाना नाम है. हिंदी की विभिन्न आंचलिक भाषाओं अवधी, भोजपुरी और बुंदेली आदि में लोक गीतों को उन्होंने एक नई पहचान दी है. वह ठुमरी और कजरी में भी प्रस्तुतियां देती हैं. प्रदेश के कन्नौज जिले में जन्मी मालिनी अवस्थी ने लखनऊ के भातखंडे संगीत महाविद्यालय (अब विश्वविद्यालय) से शास्त्रीय संगीत में स्नाकोत्तर किया है. वह बनारस घराने की सुप्रसिद्ध गायिका पद्म विभूषण गिरिजा देवी की शिष्या हैं. मालिनी अवस्थी ने लोक गायिकी को न सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका, मॉरीशस, इंग्लैंड और फिजी आदि देशों तक पहुंचा कर और ख्याति बटोरी है. उन्होंने ने कई फिल्मों में भी गीत गाए हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में उन्हें चुनाव आयोग ने ब्रांड एंबेसडर बनाया था. उन्हें 'पद्म श्री' सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. छठ पर्व के अवसर पर हमने मालिनी अवस्थी से विभिन्न विषयों पर बात की. प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश....