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आवश्यकता ही आविष्कार की जननी... आप खुद ही देख लीजिए

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Published : Dec 11, 2021, 3:39 PM IST

Updated : Dec 11, 2021, 4:54 PM IST

कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. आवश्यकता के अनुरूप ही इंसान उस सामान को इजाद करने में जुट जाता है. कुछ ऐसा ही झारखंड के पूरन उरांव ने किया है, जो लोहरदगा के सदर प्रखंड के जुरिया पंचायत के सेमर टोली जुरिया गांव के रहने वाले हैं. जिन्होंने अपने हुनर और देसी जुगाड़ से रोजमर्रा की कई चीजें बनायी है. पूरन उरांव की पहचान एक देसी इंजीनियर के रूप में है. अब आप कहेंगे कि इसमें खास क्या है. लोग क्यों पूरन उरांव को देसी इंजीनियर कहते हैं, तो हम आपको बताते हैं. पूरन उरांव जुगाड़ के सहारे नई-नई चीजों का निर्माण करते हैं. कुछ अपने परिवार की आवश्यकता के लिए बनाते हैं तो कुछ सामान दूसरों की डिमांड पर बनाते हैं. पूरन उरांव ने अब तक हाथ से चलाने वाला मिक्सर मशीन, बांस का हैंडमेड रिक्शा, धान रोपने की मशीन, कुआं से पानी निकालने वाला जल चक्र सहित कई सामान बना चुके हैं. इन सामानों को लोगों ने खूब पसंद किया है. इतना ही नहीं, आदिवासी समाज के अनुष्ठान में उपयोग होने वाला लकड़ी का गुड्डा भी बेहद खूबसूरत बनाते हैं. पूरन उरांव ने जुगाड़ से पहली बार बांस से रिक्शा बनाया. बच्चों ने जिद की कि उन्हें गाड़ी चाहिए. गरीब परिवार से होने की वजह से पूरन बच्चों के लिए गाड़ी नहीं खरीद सकते थे. अपने बच्चों की जिद को पूरा करने के लिए मैट्रिक पास पूरन उरांव ने बांस से रिक्शा बनाकर बच्चों को दिया. इस रिक्शा को बच्चे के साथ साथ खुद उपयोग करते हैं. यह रिक्शा देखने में आकर्षक होने के साथ साथ काफी मजबूत भी है.
Last Updated : Dec 11, 2021, 4:54 PM IST

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