भारत में यक्ष्मा, तपेदिक तथा क्षयरोग नाम से भी जाने जाना वाला ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी रोग एक ऐसा संक्रमण है, जिससे माना जाता है कि दुनिया की एक तिहाई आबादी प्रभावित है। डब्ल्यूएचओ की ओर से विश्व में सबसे गंभीर संक्रमण के रूप में प्रसिद्ध ट्यूबरक्लोसिस रोग को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 24 मार्च को 'विश्व क्षयरोग दिवस' मनाया जाता है। वर्ष 1882 में सर्वप्रथम डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरियल की खोज की थी, जिसके कारण ही इस रोग के संकेतों तथा उसके उपचारों की खोज संभव हो पाई थी। इसीलिए उस दिन की याद में यह विशेष दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिन के लिए 'द क्लॉक टिकिंग' थीम निर्धारित की गई है। इस थीम का उद्देश्य टीबी महामारी से मुक्ति दिलाने में संघर्षरत लोगों और संगठनों को याद दिलाना है की समय की सुई लगातार आगे बढ़ रही है, इसलिए इस महामारी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रयास करें।
टीबी को लेकर डब्ल्यूएचओ के आंकड़े
- वर्ष 2000 के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर 6,30,00,000 लोगों को टीबी की बीमारी से बचाया गया।
- वर्ष 2019 में लगभग 1,00,00,000 लोग टीबी की चपेट में आए।
- वर्ष 2019 में ही लगभग 14,00,000 लोग टीबी के चलते अपनी जान गंवा बैठे।
- वर्ष 2019 में टीबी दवाइयों के अभाव में इस रोग का शिकार बन गए।
यकीनन टीबी संक्रमण दुनिया की सबसे खतरनाक संक्रमणों में से एक है। इसीलिए इस संक्रमण से मुक्ति के लिए दुनिया में सभी लोग एकजुट होकर प्रयास कर रहे हैं।
क्या है ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) ?
वीएनएन अस्पताल, हैदराबाद में जनरल मेडिसिन में फिजीशियन डॉ. राजेश वुक्काला बताते हैं की टीबी के बैक्टीरियल संक्रमण हैं, जो माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह संक्रमण उन लोगों में ज्यादा होता है, जो किसी भी कारण के चलते स्वस्थ वातावरण या जीवनशैली नहीं जी पाते है। इसके साथ ही ऐसे लोग जिनकी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होता है या जो धूम्रपान तथा शराब के आदी होते है, उन्हें भी यह संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है। माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले व्यक्ति के फेफड़ों और फिर धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करना शुरू कर देता है।
टीबी के लक्षण तथा संकेत
टीबी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर होता है। फेफड़ों के अलावा मस्तिष्क, गर्भाशय, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। बता दे की फेफड़ों का टीबी सबसे आम होती है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली बारीक बूंदे इन्हें प्रसारित करती हैं। पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (पीअएचओ) के अनुसार ऐसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, उन्हें टीबी का संक्रमण आसानी से नहीं लग पाता है। पीअएचओ के अनुसार टीबी के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं;
- खांसना (और कभी-कभी खांसी के साथ खून आना)
- छाती में दर्द
- कमजोरी
- अचानक वजन कम होना
- बुखार
- रात को सोते समय पसीने आना