हर साल पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों लोग अचानक घटित होने वाली घटनाओं के चलते मृत्यु या शारीरिक अक्षमता का शिकार हो जाते हैं. इस तरह की घटनाओं से ना सिर्फ पीड़ित, उसके परिजन, उसके जानने पहचानने वाले लोग तथा उसके दोस्त प्रभावित होते हैं, बल्कि संचार के विभिन्न माध्यम जैसे अखबार या टीवी के चलते ऐसी खबरों के बारे में सूचना प्राप्त करने वाले आमजन भी बड़ी संख्या में प्रभावित होते हैं. इस तरह की परिस्थितियों से कैसे सुरक्षा तथा बचाव संभव है, इस बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 17 अक्टूबर को पूरी दुनिया में 'विश्व ट्रॉमा दिवस' मनाया जाता है.
क्या है ट्रॉमा
चिकित्सा जगत में ट्रॉमा को एक शारीरिक क्षति माना जाता है. ऐसे शारीरिक अवस्था जो अचानक से घटित होने वाली किसी दुर्घटना के परिणाम स्वरुप उत्पन्न होती है. सड़क दुर्घटना सहित किसी भी प्रकार की दुर्घटना, घरेलू हिंसा, प्राकृतिक आपदा तथा बहुत सी अवस्थाएं हैं, जिनके द्वारा होने वाली क्षति के कारण ट्रॉमा हो सकता हैं. ट्रॉमा से मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव शारीरिक तथा मानसिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं. लेकिन कई बार इन आघातों के चलते होने वाली शारीरिक विकलांगता का व्यक्ति की मनःस्थिति पर गहरा असर पड़ता है.
ट्रॉमा के कारणों में सबसे मुख्य रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट जिसे 'आरटीए' के नाम से भी जाना जाता है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार वर्ष 2013 में सिर्फ भारत में लगभग 1 लाख 37 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे. तब से यह संख्या लगातार बढ़ रही है.
ट्रॉमा से जुड़े जरूरी तथ्य
⦁ हर साल दुनिया भर में लगभग 5 मिलियन लोग और सिर्फ हिंदुस्तान में एक मिलियन लोग सड़क दुर्घटनाओं के चलते मृत्यु और बड़ी संख्या में शारीरिक विकलांगता का शिकार बनते हैं.
⦁ दुनिया भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 1/5 भारत में होती हैं.
⦁ हमारे देश में कहा जाता है कि हर 2 मिनट में एक सड़क दुर्घटना तथा हर 8 मिनट में दुर्घटना के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु होती है.
⦁ भारत में सड़क दुर्घटना का शिकार होने वाले लोगों में से अधिकांश युवा पुरुष होते हैं.
⦁ हर साल हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या पिछले साल के मुकाबले 3 प्रतिशत बढ़ जाती हैं.
⦁ सड़क दुर्घटना के अलावा हमारे देश में कैंसर तथा हृदय संबंधी बीमारियां भी ट्रामा के मुख्य कारणों में से मानी जाती हैं.
दुर्घटनाओं से बचाव के लिए क्या करें और क्या ना करें
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं विकसित देशों में होती हैं. सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु तथा शारीरिक विकलांगता की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है, लेकिन ऐसा सिर्फ सड़क सुरक्षा के लिए नियम बनाने से संभव नहीं है. बहुत जरूरी है कि आमजन सड़क सुरक्षा के नियमों को जाने और माने. इसके अलावा घरों में होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर प्राथमिक उपचार तथा जरूरी सुरक्षा मानकों के बारे में जानना भी लोगों के लिए बहुत जरूरी है. प्रचलित कहावत है कि इलाज से बेहतर बचाव है, इसलिए ट्रॉमा जैसी परिस्थिति से बचने के लिए इन नियमों का पालन किया जा सकता है.
क्या करें
⦁ सड़क पर सुरक्षा के लिए जरूरी नियम