World Stroke Day 2023 : ब्रेन स्ट्रोक से मौतों के मामलों में दूसरे नंबर पर है भारत, हर 4 मिनट में एक व्यक्ति गंवाते हैं जान - World Stroke Congress
आज के समय में क्या जवान, क्या बुढ़े सभी लोग स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं. इससे बढ़कर भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता की है कि दुनिया में स्ट्रोक से होने वाली मौतों के मामलों में दूसरा स्थान है. इसके पीछे मुख्य कारण गलत जीवन शैली है. पढ़ें पूरी खबर..World Stroke Day, World Stroke Day 2023, World Stroke Day History, World Stroke Day Significance.
हैदराबाद :वैश्विक पैमाने पर स्ट्रोक के कारण लगातार मौतें और विकलांगता के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. स्ट्रोक के पीछे कई कारण हैं. इसकी भयावहता को देखते हुए जागरूकता लाने के लिए हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य बेहतर स्वास्थ प्रबंधन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना और स्ट्रोक के बारे में लोगों को जानकारी देकर मौतों की संख्या को कम करना है.
विश्व स्ट्रोक दिवस इतिहास व थीम
29 अक्टूबर 2004 को कनाडा स्थिक वैंकूवर में विश्व स्ट्रोक कांग्रेस के दौरान विश्व स्ट्रोक दिवस मनाने का फैसला लिया गिय था. फैसले के आधार पर विश्व स्ट्रोक संगठन की ओर से 2006 में पहली बार विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया गया था. विश्व स्ट्रोक दिवस 2023 के लिए थीम 'टुगेदर वी आर ग्रेटर दैन स्ट्रोक' यानि हम सब मिलकर, स्ट्रोक से भी बड़े हैं. ('Together We Are Greater Than Stroke.') थीम का मुख्य उद्देश्य स्ट्रोक के बारे में लोगों को जागरुक कर स्ट्रोक के मामलों से होने वाली मौतों की संख्या को कम करना है.
हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति होते हैं स्ट्रोक का शिकार
भारत ब्रेन स्ट्रोक से होने वाली मौतों के मामलों में दूसरे नंबर पर है. एम्स में न्यूरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ एमवी पदमा श्रीवास्तव के अुनसार भारत में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार होता है और हर 4 मिनट में एक व्यक्ति की मौत स्ट्रोक के कारण हो जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार भारत में लोग स्वास्थ के प्रति गंभीर नहीं हैं. साथ ही बेहतर स्वास्थ सुविधा का अभाव स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी के लिए बड़ी समस्या है.
आंकड़ों में समझें स्ट्रोक के मामले
स्ट्रोक के मुख्य रूप से 2 कारकों को जिम्मेदार माना जाता है.
पहला हाई ब्लडप्रेशर और तंबाकू सेवन.
स्ट्रोक से मरने वाले 10 में से 4 लोगों को सजग रहकर बचाया जा सकता है, यदि उनके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाय.
65 प्लस आयु वर्ग में हर 5 में 2 मौतों के लिए जिम्मेदार धुम्रपान को पाया गया है.
रक्त धमनियों का सही तरीके से काम नहीं करना, हर्ट अटैक, हर्ट फेल्योर व कई अन्य कारण भी स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार हैं.
ब्लड प्रेशर का बेहतर प्रबंधन के कारण कई विकसित देशों में स्ट्रोक के मामलों में कमी हो रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सालाना दुनिया में 150 लाख (15 मिलियन) से ज्यादा लोग स्ट्रोक के शिकार होते हैं.
इनमें लगभग 50 लाख (5 मिलियन) से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है, जो उनके परिवार को कई परेशानियों का सामना करने के लिए मजबूर कर देता है.
वहीं 50 लाख (5 मिलियन) से ज्यादा लोग स्थायी रूप से विकलागंता के शिकार हो जाते हैं. पीड़ित व्यक्ति परिवार और समुदाय पर कई तरह से बोझ बन जाते हैं.
डॉक्टरों के अनुसार सामान्यत: 40 साल से उपर के लोग स्ट्रोक के शिकार होते हैं. इससे कम उम्र में स्ट्रोक असामान्य बात है, अगर ऐसा होता है तो इसमें मुख्य कारण उच्च रक्तचाप है.
वहीं सिकल सेल रोग से पीड़ित 8 फीसदी के करीब बच्चों में भी स्ट्रोक का खतरा होता है. सिकल सेल रोग डिटेक्टिव हीमोग्लोबिन वंशानुगत (Hereditary) होता है.
स्ट्रोक अगर आ जाय तो इसके लिए समय पर पहचान और इलाज जरूरी है. इसके लिए स्ट्रोक चेतावनी संकेतों को समझना आवश्यक है. अगर किसी भी एंगल से लगे कि कोई व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो चुका है तो अबिलंब संबंधित व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जायें.
चेहरे में बदलाव होना या झुकना स्ट्रोक का सामान्य लक्ष्ण है. अगर आपके चेहरे का एक हिस्सा झुक जाये, सुन्न हो जाये, मुस्कान एकतरफा या असमान हो जाये तो संभव है कि वह व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो.
अचानक से बोलने में परेशानी होना, वाणी अस्पष्ट होना या समझने में कठिनाई होना.
शरीर का कोई हिस्सा कमजोर हो जाय या सुन्न होना प्रतीत है तो संभव है कि स्ट्रोक के शिकार हो चुके हैं.
अचानक से अचेत होना या चक्कर खाकर गिरना भी स्ट्रोक का लक्ष्ण हो सकता है.