हर साल 19 जून को सिकल सेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार की हो जाती है. लोगों में सिकल सेल को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2008 में इसकी शुरूआत की थी. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि हर साल लगभग 3 लाख शिशु मुख्य रूप से हीमोग्लोबिन के विकार (डिसॉर्डर) के साथ पैदा होते है. वहीं लगभग 100 मिलियन लोग सिकल सेल रोग से प्रभावित होते हैं.
सिकल सेल रोग एक विरासत में मिलने वाला रक्त विकार है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है. सिकल सेल सोसाइटी बताती है कि इस विकार के कारण सामान्य रूप से गोल और लचीली रक्त कोशिकाएं, कठोर और हंसिया आकार की हो जाती हैं. यह रक्त कोशिकाओं को रोकती हैं और उसकी ऑक्सीजन ले जाती है. यह शरीर के चारों ओर स्वतंत्र रूप से चलने में सक्षम होती है और दर्द का कारण बनती है. इस दर्द को सिकल सेल संकट के नाम से जाना जाता है. दर्द को नियंत्रित करने के लिए दर्द निवारक दवाओं के साथ इलाज किया जाता है.
स्वास्थ पर इसका प्रभाव
इस विकार से ग्रसित मरीज और कई बीमारियों से भी घिरा रहता है. सिकल सेल सोसाइटी का कहना है कि इस बीमारी के मरीजों को स्ट्रोक, तीव्र चेस्ट सिंड्रोम, अंधापन, हड्डियों की क्षति और प्रतापवाद की जटिलताओं का खतरा होता है. समय के साथ इस बीमारी से पीड़ित मरीज के लीवर, किडनी, फेफड़े, हृदय और स्प्लीन जैसे अंगों को नुकसान हो सकता हैं. विकार की जटिलताओं से पीड़ित की मौत भी हो सकती है.